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पत्रविहीन meaning in Hindi

pronunciation: [ petrevihin ]
पत्रविहीन meaning in English

Examples

  1. यद्यपि पलास और सेमल के पत्रविहीन वृक्ष अभी भी रक्तवर्ण पुष्पों से सुशोभित हैं , किन्तु आम्रवृक्षों की डालियों में अब आम्रमंजरी के स्थान पर आमफल के गुच्छे दृष्टिगत होने लगे हैं।
  2. यद्यपि पलास और सेमल के पत्रविहीन वृक्ष अभी भी रक्तवर्ण पुष्पों से सुशोभित हैं , किन्तु आम्रवृक्षों की डालियों में अब आम्रमंजरी के स्थान पर आमफल के गुच्छे दृष्टिगत होने लगे हैं।
  3. डोंगरगढ़ से आमगाँव तक पहाड़ी और जंगली क्षेत्र हैं जिसमें वसन्त ऋतु में टेसू के फूलों की भरमार रहती है किन्तु अभी पतझड़ होने के कारण केवल पत्रविहीन वृक्ष ही दिखाई दे रहे थे।
  4. डोंगरगढ़ से आमगाँव तक पहाड़ी और जंगली क्षेत्र हैं जिसमें वसन्त ऋतु में टेसू के फूलों की भरमार रहती है किन्तु अभी पतझड़ होने के कारण केवल पत्रविहीन वृक्ष ही दिखाई दे रहे थे।
  5. आम्र-मंजरियों एवं महुआ के मदिर पुष्पों की भीनी व मादक सुगन्ध से सुवासित वातावरण ! खेतों मे सरसों के फूलों का पीताम्बर! अलसी के अलसाये फूल! पत्रविहीन पलाश एवं सेमल के वृक्षों पर दहकते अंगारों सदृश रक्तिम सुमन!
  6. पत्रविहीन पलाशवन में जब तपती दोपहर को दूर दूर तक छांव नहीं होती तब उसी दावानल में जैसे टेसू के फूलों के बीच पलाश के पौधे भी कंकाल जैसे प्रतीत होते हैं . फिर कैसी छांव ...
  7. पत्रविहीन वृक्ष तो सतपुड़ा की पहाड़ी और जंगलों में भी थे किन्तु वहाँ पर लाल फूलों से लदे हुए गुलमोहर के पेड़ों की बहुलता होने के कारण आँखों को उनका बहुत ही स्वादिष्ट भोजन प्राप्त हो रहा था।
  8. पत्रविहीन वृक्ष तो सतपुड़ा की पहाड़ी और जंगलों में भी थे किन्तु वहाँ पर लाल फूलों से लदे हुए गुलमोहर के पेड़ों की बहुलता होने के कारण आँखों को उनका बहुत ही स्वादिष्ट भोजन प्राप्त हो रहा था।
  9. कितने ही मौसम आकर निकल जाते हैं , कभी दुख की पतझड़ पत्रविहीन कर जाती है कभी वर्षा से भीग-भीग जाते हैं और कभी सर्दी में अपने आप में ठिठुर जाते हैं लेकिन फोटो तो वैसी ही बनी रहती है।
  10. सरसों के पीले खेत , अलसी के अलसाये नीले फूल,टेसू के लाल लाल चमकते झुण्ड,सेमल के पत्रविहीन वृक्ष पर आकर्षक पुष्प,प्रकृति के ये सब नये परिधान -सौन्दर्य गागर छलकाते हैं,'सेनापति' और 'पद्माकर' की स्मृति जगाते हैं।महुए के नशीले फूल,मधुमास की उठती हल्की धूल,कोपलों से भरे सरिता के दुकूल,मदहोशी, ऋतु के अनुकूल,वसन्त की यह साज-सज्जा,गूंजते भ्रमर और पुष्प के प्रेम में -न संकोच, न अनावश्यक लज्जा।
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