×

नुकताचीनी meaning in Hindi

pronunciation: [ nuketaachini ]
नुकताचीनी meaning in English

Examples

  1. किसी मज़हब या मज़हबी किताब पर नुकताचीनी करते वक़्त उन ज़मीन दोज़ रास्तों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये जो कि उस मज़हब या मज़हबी किताब के मदाह के नज़दीक मतरूक ख़्याल किये जाते हैं।
  2. स्वामी दयानन्द के इस मैयार या उसूल का पता लगाने के लिये मैं मुनासिब समझता हूँ कि यहाँ पर स्वामी दयानन्द की इस नुकताचीनी की चन्द मिसालें दर्ज कर दी जायें जो कि उन्होंने कलामे मजीद पर की हैं।
  3. मैं अब स्वामी दयानन्द के यजुर्वेद भाष् य में से चन्द मंत्र यहाँ पर पेश करूँगा और ये दिखाऊँगा कि ख़ुद स्वामी दयानन्द का उसूल या सिद्धान्त क्या है जो कि वह कुरआन पर नुकताचीनी करते हुए ज़ाहिर कर चुके हैं।
  4. मैं कह चुका हूँ कि किसी मज़हब या किसी शख़्स पर नुकताचीनी करने से पेशतर इस बात का जानना निहायत ज़रूरी है कि उस मज़हब या उस शख़्स के कौन से मसलमात हैं जिनको वह अपने नज़दीक आला से आला मसलमात क़रार देता है।
  5. हो सकता है पस जिस सूरत में कुरआन मजीद में ऐसी आयत ही नदारद है कि जिसका तर्जुमा सत्यार्थ प्रकाश में मज़कूरा बाला अल्फ़ाज़ में दिया गया है तो इस बेबुनियाद बात पर जिस क़द्र नुकताचीनी होगी वह नुकता चीनी भी ज़मीन पर गिर जायेगी।
  6. ( तर्जुमा मौलवी हाफ़िज़ नज़ीर अहमद साहब ) मज़कूरा बाला तर्जुमे में जिन अल्फ़ाज़ को ( स ) में कर दिया गया है उनको मद्दे नज़र रखना चाहिये क्योंकि इस तर्जुमे का स्वामी दयानन्द के “ उलेमा ” के तर्जुमे से मुक़ाबला करने में मदद मिलेगी स्वामी दयानन्द ने सत्यार्थ प्रकाश के चौदहवें समुल्लास में जो कि कुरआन मजीद पर नुकताचीनी का बाब है।
  7. मज़कूरा बाला नुकताचीनी को मैंने इसलिये नक़ल किया है ताकि स्वामी दयानन्द की इलहामी किताब के बारे में सही पोज़िशन का पता लग सके ये कहना कुरआन मजीद के जिन तराजिम की बिना पर स्वामी दयानन्द ने इस पर नुकताचीनी की है इन तराजिम में कुरआन मजीद के सही मफ़हूम को समझकर नुकता चीनी की है एक बहस तलबे मआमला है जिसका किसी क़द्र जवाब इस मज़मून के शुरू में दिया जा चुका है।
  8. मज़कूरा बाला नुकताचीनी को मैंने इसलिये नक़ल किया है ताकि स्वामी दयानन्द की इलहामी किताब के बारे में सही पोज़िशन का पता लग सके ये कहना कुरआन मजीद के जिन तराजिम की बिना पर स्वामी दयानन्द ने इस पर नुकताचीनी की है इन तराजिम में कुरआन मजीद के सही मफ़हूम को समझकर नुकता चीनी की है एक बहस तलबे मआमला है जिसका किसी क़द्र जवाब इस मज़मून के शुरू में दिया जा चुका है।
  9. अगर इस हुज्जत को सही तसलीम कर लिया जाये तो सवाल पैदा होगा कि स्वामी दयानन्द का क्या हक़ था कि उन्होंने कुरआन पर नुकताचीनी की जबकि ये अम्र वाक़िआ है कि स्वामी दयानन्द अरबी , फ़ारसी , उर्दू और अंग्रेज़ी से क़तई महरूम थे और ये भी अम्र वाक़िआ है कि स्वामी दयानन्द के ज़माने में अगरचे कुरआन अरबी में मौजूद था और इसके तराजिम फ़ारसी उर्दू और अंग्रेज़ी में भी मौजूद थे मगर हिन्दी में इसका कोई तर्जुमा नहीं था और स्वामी दयानन्द सिवाये हिन्दी और संस्कृत के मज़कूरा बाला ज़बानों से क़तई नाबलद थे।
More:   Prev  Next


PC Version
हिंदी संस्करण


Copyright © 2023 WordTech Co.