निषाद जाति meaning in Hindi
pronunciation: [ nisaad jaati ]
Examples
- 2 मिनट बाद निषाद जाति के कार्यकर्ता चिल्लाने लगते है : “ अबे साले मंच से उतरेगा की नहीँ , टाइम खत्म , नेता लोग का अब नाच गाना सुनने का मन है अब नाच गाना होगा ”
- महाभारत में जिसके पुत्रो की कहानी है वो सत्यवती निषाद कन्या थी और महाभारत लिखने वाले ' व्यास ' भी निषाद जाति के थे और व्यास जी का संत समाज में किसी ब्राह्मण से भी ज्यादा सम्मान था .
- ऐसा इसलिए कि यमुना पार क्षेत्र में अखिल भारतीय किसान मजदूर संगठन जो संसदीय व्यवस्था में यकीन रखने वाली भाकपा माले न्यूडेमोक्रेसी का किसान संगठन है के नेतृत्व में निषाद जाति के लोग बालू माफिया , अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष और बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया के खिलाफ जुझारु आंदोलन चला रहे हैं।
- ऐसा इसलिए कि यमुना पार क्षेत्र में अखिल भारतीय किसान मजदूर संगठन जो संसदीय व्यवस्था में यकीन रखने वाली भाकपा माले न्यूडेमोक्रेसी का किसान संगठन है के नेतृत्व में निषाद जाति के लोग बालू माफिया , अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष और बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया के खिलाफ जुझारु आंदोलन चला रहे हैं।
- ऐसा इसलिए कि यमुना पार क्षेत्र में अखिल भारतीय किसान मजदूर संगठन जो संसदीय व्यवस्था में यकीन रखने वाली भाकपा माले न्यूडेमोक्रेसी का किसान संगठन है के नेतृत्व में निषाद जाति के लोग बालू माफिया , अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष और बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया के खिलाफ जुझारु आंदोलन चला रहे हैं।
- आखिर मंच पर बुद्विजीवियोँ को क्यूँ नहीँ बोलने देते निषाद जाति के नेता : कारण है डर निषाद जाति के नेता सोचते हैँ अगर बुद्वीजीवियोँ को मंच से बोलने देगेँ तो 15000 वेतन पाने वाले और 10 से 5 आफिस मेँ डयूटी करने वाले बुद्विजीवी अपनी अपनी नौकरियाँ छोड़ कर चुनाव लड़ना चालू कर देगेँ और फिर तब उनको समाज मेँ कोई नहीँ पूछेगा उनका राजनीतिक कैरियर तबाह बरबाद हो जाएगा
- आखिर मंच पर बुद्विजीवियोँ को क्यूँ नहीँ बोलने देते निषाद जाति के नेता : कारण है डर निषाद जाति के नेता सोचते हैँ अगर बुद्वीजीवियोँ को मंच से बोलने देगेँ तो 15000 वेतन पाने वाले और 10 से 5 आफिस मेँ डयूटी करने वाले बुद्विजीवी अपनी अपनी नौकरियाँ छोड़ कर चुनाव लड़ना चालू कर देगेँ और फिर तब उनको समाज मेँ कोई नहीँ पूछेगा उनका राजनीतिक कैरियर तबाह बरबाद हो जाएगा
- किसी ' दूर्वादलश्यामं ' देवता के आगमन की , उसके द्वारा महिमा-मंडित और पुण्यशाली बनाये जाने की कल्पना पुरुष प्रति पुरुष निषाद जाति करती आ रही थी , और इसी बीच में इक्ष्वाकुओं के आर्यकुल में एक प्रतापशाली राजपुरुष का जन्म हुआ , और उसके शील-स्नेह और चरित्र में तथा शताब्दियों प्रतीक्षित देव कल्पना में साम्य दिखाई पड़ा , और यह साम्य निषादों में प्रचलित अवतार की कल्पना के चौखटे में पूरा-पूरा उतर गया तथा उन्होंने उक्त इक्ष्वाकुवंशीय कुमार को , उसके अलौकिक कर्म को , अपने महादेवता के अवतरण के रूप में देखा।