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दाँव पेच meaning in Hindi

pronunciation: [ daanev pech ]
दाँव पेच meaning in English

Examples

  1. कुश्ती के दाँव पेचों में जो दाँव पेच तुर्त- फुर्त चल जाते हैं , उनमें बल भी रहता है।
  2. लेकिन मात्र जज ही क्यों , मुकदमा लड़ने वाले आधे वकील ही तो ये दाँव पेच लड़ाते हैं .
  3. तुम्हारा सब कुछ खराब , मेरा सब कुछ अच्छा , यह सिद्ध करने के लिए ताक झाँक कर कूटनीतिक दाँव पेच तैयार होते हैं।
  4. सभी पेशे से वकील होने के कारण बचने और बचाने के दाँव पेच जानते हैं और अपने आकाओं के महान सेवक और जान न्योछावर करने वाले है।
  5. बिल्लो रानी उनको खेल खेल में कई दाँव पेच सिखा रही है और दूध पिलाने के अलावा छोटे छोटे मांस के टुकड़े ला कर बच्चों को नए नए स्वाद चखा रही है !
  6. , सामुदायिक भवन , जरूरतमंदों की पेंस्हंस सब करवाती . किन्तु ........ गाँव का वो भोलापन , सादगी , निश्छलता सब खत्म हो चुके हैं बेटा ! शहरों से ज्यादा यह करप्शन , छल कपट , दाँव पेच , प्रपंच्बाजी है .
  7. , सामुदायिक भवन , जरूरतमंदों की पेंस्हंस सब करवाती . किन्तु ........ गाँव का वो भोलापन , सादगी , निश्छलता सब खत्म हो चुके हैं बेटा ! शहरों से ज्यादा यह करप्शन , छल कपट , दाँव पेच , प्रपंच्बाजी है .
  8. वह तलवे चाटता-चाटता राजनीति के सभी दाँव पेच और रहस्यों से परिचित हो गया था , अत : उसने आत्मविश्वास के साथ कहा , '' कैसी व्यवहारिक अड़चनें , मालिक ! बताएँ , आपकी शरण में रहकर राजनीति की पैंतरेबाजी सीखी है , सभी अड़चनें सहज ही हल कर लूँगा।
  9. वह तलवे चाटता-चाटता राजनीति के सभी दाँव पेच और रहस्यों से परिचित हो गया था , अत: उसने आत्मविश्वास के साथ कहा, “कैसी व्यवहारिक अड़चनें, मालिक! बताएं, आपकी शरण में रहकर राजनीति की पैंतरेबाजी सीखी है, सभी अड़चनें सहज ही हल कर लूंगा।” मंत्रीजी बोले, “तुम भाषण देना तो जानते ही नहीं? बिना भाषण के नेतागीरी कैसे संभव, बरखुरदार!” मंत्रीजी की आशंका सुन पिल्लू ने ठहाका लगाया और मन ही मन बोला-मालिक तुम भी तो मेरी ही तरह भाषण देते हो।
  10. वह तलवे चाटता-चाटता राजनीति के सभी दाँव पेच और रहस्यों से परिचित हो गया था , अत: उसने आत्मविश्वास के साथ कहा, “कैसी व्यवहारिक अड़चनें, मालिक! बताएं, आपकी शरण में रहकर राजनीति की पैंतरेबाजी सीखी है, सभी अड़चनें सहज ही हल कर लूंगा।” मंत्रीजी बोले, “तुम भाषण देना तो जानते ही नहीं? बिना भाषण के नेतागीरी कैसे संभव, बरखुरदार!” मंत्रीजी की आशंका सुन पिल्लू ने ठहाका लगाया और मन ही मन बोला-मालिक तुम भी तो मेरी ही तरह भाषण देते हो।
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