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छांदोग्योपनिषद् meaning in Hindi

pronunciation: [ chhaanedogayopenised ]
छांदोग्योपनिषद् meaning in English

Examples

  1. नमक का ही दृष्टांत देकर आरुणि ने अपने पुत्र श्वेतकेतु को यही बात छांदोग्योपनिषद् के छठे अध् याय के तेरहवें खंड के तीसरे मंत्र में इस तरह कही है , ' स य एषोऽणिमैतदात्म्यमिदं सर्वं तत्सत्यं स आत्मा तत्त्वमसिश्वेतकेतो।
  2. छांदोग्योपनिषद् के सातवें अध् याय के पहले और दूसरे खंडों में नारद ने सनत्कुमार से कहा है कि ऋग्वेदादि चारों वेदों , वेदों के वेद , पाँचवें इतिहास-पुराण के सिवाय , अनेक विद्याओं के साथ देवविद्या , ब्रह्मविद्या , भूतविद्या , क्षेत्रविद्या , नक्षत्रविद्या , सर्पविद्या , जनविद्या और देवविद्या जानता हूँ।
  3. मुण्डकोपनिषद् का कथन है अग्नि होत्री को यह आहुतियां सूर्य की किरणें बनकर उस स्वर्ग लोक में पहुँचा देती हैं , जहां देवताओं का एकमात्र पति निवास करता है ( द्वितीय खण्ड श्लोक 5 ) छांदोग्योपनिषद् में उदकोशल नामक एक ब्रह्मचारी को , जो सत्यकाम जावाल के यहां ब्रह्म विद्या सीखने गया था , अग्नियों द्वारा ब्रह्म विद्या का उपदेश मिलने का वर्णन मिलता है , क्योंकि उसने बारह वर्षों तक अग्नियों की सेवा की थी ।
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