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गुड़-गुड़ meaning in Hindi

pronunciation: [ gaude-gaud ]
गुड़-गुड़ meaning in English

Examples

  1. इस त्योहार पर लोग आपस में मिलते हैं और एक-दूसरे को मीठे रंगीन अनाज के दाने और भुने हुए तिल देते हैं , साथ ही गाते हैं-तिल गुड़ घया, गुड़-गुड़ बोला।
  2. कौन जीतता है-मार जवानो , हइयो! एक डैम की प्रतिछाया परदे पर! गड़-गड़, गुड़-गुड़ गर्र-र्र-र्र-र्र-र्र!… वीरान धरती का रंग बदल रहा है धीरे-धीरे…हरा, लाल, पीला, वैगनी. …हरे-भरे खेत (परती: परिकथा, 645-6). ये किस प्रकार का उत्सव है?
  3. काफी देर तक उसके पेट से आती गुड़-गुड़ आवाज सुनता इस बात से खुश होता रहा कि कल नहीं तो परसों तक वे पिन्ने बच्चे यहाँ से चले जायेंगे , फिर मीरा को घर ले जाने के लिए जगाने लगा।
  4. उड़ती फ़ूस कटी-कटी धूप गुड़-गुड़ करती बाबा के हुक्के की मूँज जेठ दुपहरी छाँव तले गिलहरी किट-किट करती अम्मा की सुपारी दिन सून लम्बे दिन लम्बी तारीखें औंधे मुँह ऊँघती जीजी की किताबें , परचून गुम हवा झुलसी धरा मेढ़ पर सोचती उसकी आँखें लगी, सब सून ____________
  5. उड़ती फ़ूस कटी-कटी धूप गुड़-गुड़ करती बाबा के हुक्के की मूँज जेठ दुपहरी छाँव तले गिलहरी किट-किट करती अम्मा की सुपारी दिन सून लम्बे दिन लम्बी तारीखें औंधे मुँह ऊँघती जीजी की किताबें , परचून गुम हवा झुलसी धरा मेढ़ पर सोचती उसकी आँखें लगी, सब सून ____________...
  6. आमाशय के रोग में निम्न प्रकार के लक्षण माने जाते हैं जैसे भूख न लगना , उल्टी आना , उदर में बेचैनी , छाती में जलन , चक्कर आना और कभी-कभी दस्त आना , भोजन करने के बाद होने वाली तेज दर्द , अरुचि , लालस्त्राव , उक्लेश ( मतली ) , उल्टी होना , वायु का रुकना ( अवरोध ) , आमाशय में गुड़-गुड़ की आवाज होना , कब्ज , शरीर में दर्द होना आदि लक्षण माने जाते हैं।
  7. विचार आया , कि एक दरिद्र व्यक्ति , जो बुनियादी ज़रूरतों का भी अभाव देखता है , जब उसे भूख लगती होगी , तो क्या दशा होती होगी उसकी ! पेट में गुड़-गुड़ हो रही हो , लेकिन जेब भी पेट की तरह खाली हो , तो क्या हाथ खुद-बखुद नहीं बढ़ जाते होंगे चोरी के लिए ? हम पक्की छत के नीचे रहने वाले लोग , अपनी गैर-ज़रूरी इच्छाओं को पूरा करने के लिए भी हर पल बेताब रहते हैं .
  8. पसीने से लतपत हुआ , सड़्क पर चल रहा.सूर्ज महाराज की गर्मी सहता, मैं चल रहा.म्नज़िल अभी दूर थी, सूर्य का केहर था.हालत मेरी बुरी थी, ना जाने कितना चलना था.कहीं से वह काले बाद्ल आए, ठंडी हवा साथ लेकर आय.गुड़-गुड़, गुड़-गुड़ की धुन गाए, पानी की वह बूंदे टपकाए.अब सूर्ज ना दिखाई दिया, वह डर कर कहीं छिप गिया.मैं खुशिओ से झूमने लगा, वाह! बाद्ल तूने कया खेल दिखाया.अब बारिश से लतपत हुआ, घर को जा रहा.ममी जी की डाँट सहता, कपड़े अपने धो रहा.....
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