कृदन्त meaning in Hindi
pronunciation: [ kerident ]
Examples
- वैज्ञानिक एवं तकनीकी हिन्दी में मुख्यतः कृदन्त और कुछ तद्धितान्त शब्दों का प्रयोग होता है , तिङन्त शब्दों का प्रयोग बिलकुल नहीं होता ।
- तकनीकी क्षेत्र में शब्दावली निर्माण हेतु हमें केवल कृदन्त एवं तद्धितान्त रूपों की ही आवश्यकता पड़ती है जो सामान्यत : संज्ञा या विशेषण होते हैं ।
- इसमें सन्धि , सुबन्त , कृदन्त , उणादि , आख्यात , निपात , उपसंख्यान , स्वरविधि , शिक्षा और तद्धित आदि विषयों का विचार है ।
- इसमें सन्धि , सुबन्त , कृदन्त , उणादि , आख्यात , निपात , उपसंख्यान , स्वरविधि , शिक्षा और तद्धित आदि विषयों का विचार है ।
- कृदन्त क्रिया रूपों या विशेषणीभूत कृदंतों का भी विशाल संसार है जो गहन लिंगभेद का शिकार है - ‘ रामः गतवान् ' तो ‘ सीता गतवती ' ।
- ' तप संतापे ' धातु से कृदन्त विहित प्रत्यय द्वारा ' तपति इति पित्तं ' जो शरीर में ताप , गर्मी उत्पन्न करे उसे पित्त कहते हैं ।।
- व्याकरणवेत्ता प्रत्ययों को पांच वर्गों में बांटते हैं : तिङन्त तथा कृदन्त क्रियाधातुओं के लिए और सुबन्त , तद्धित एवं स्त्रीप्रत्यय संज्ञा / सर्वनाम / विशेषण शब्दों के लिए ।
- इस प्रकार के उदाहरण में ' कइले ' शब्द वस्तुतः भूत कृदन्त ( past participle ) ' कइल ' से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है - “ किया हुआ ” ।
- इसी प्रकार ‘ कृ ' ( करना ) से कृति , कार्य , कर्तव्य ( कृदन्त प्रत्यय ) ; और उपसर्ग भी प्रयोग में ले लें तो आकृति , अनुकृति , प्रकृति , विकृति इत्यादि ।
- यदि प्रतिपाद्य विषयों की दृष्टि से विचार किया जाए तो संज्ञा और परिभाषा , स्वरों और व्यंजनों के प्रकार, धातुसिद्ध क्रियापद, कारक, विभक्ति, एकशेष समास, कृदन्त, सुबन्त, तद्धित, आगम और आदेश, स्वर विचार, दित्व और सन्धि - ये अष्टाध्यायी के प्रतिप