काव्य रसिक meaning in Hindi
pronunciation: [ kaavey resik ]
Examples
- ये भी एक सुखद संयोग था की काव्य रसिक प्रो॰ लखबीर जी , जो राजम जी की शिष्य रह चुकी हैं ने उसी दिन अपना शोध कार्य पूरा कर डाक्टरेट की डिग्री हासिल की थी।
- ये भी एक सुखद संजोग था की काव्य रसिक प्रो॰ लखबीर जी , जो राजम जी की शिष्य रह चुकी हैं ने उसी दिन अपना शोध कार्य पूरा कर डाक्टरेट की डिग्री हासिल की थी .
- उन्होंने सीधी , सादी, जीवन्त भाषा और सर्वग्राह्य, गेय शैली में, छायावाद की लाक्षणिक वक्रता की जगह संवेदनासिक्त अभिधा के माध्यम से, अपनी बात कहना आरम्भ किया और हिन्दी काव्य रसिक सहसा चौंक पड़ा, क्योंकि उसने पाया यह कि वह भी उसके दिल में है।
- उन्होंने सीधी , सादी, जीवन्त भाषा और सर्वग्राह्य, गेय शैली में, छायावादी की लाक्षणिक वक्रता की जगह संवेदनासिक्त अभिधा के माध्यम से, अपनी बात कहना आरम्भ किया और हिन्दी काव्य रसिक सहसा चौंक पड़ा, क्योंकि उसने पाया यह कि वह भी उसके दिल में है।
- सम्मान पुरस्कार प्राप्त करते हुए वीनू सचदेवा चित्र 5 : मंच पर गरिमामय उपस्थिति चित्र 6: उपस्थित काव्य रसिक जन चित्र 7: डा. वालिया का स्वागत चित्र 8:अरविन्द चतुर्वेदी का कविता पाठ् तुम हो पहरेदार चमन के राजनीति और साहित्य दो अलग अलग धारायें है.
- नि : सन्देह यह ‘ अनभिजात ' सामान्य लौकिक परम्परा भी पहले से चली आ रही थी , और अभिजात वर्ग के काव्य में प्रचलित अनेक विषय और अभिप्राय इस निम्नतर स्तर से ही उठा लिये जाते थे और नए साज-सँवार के साथ अभिजात काव्य रसिक के सम्मुख प्रस्तुत किये जाते थे।
- आज भाषा में ये रूपक संज्ञा की परिधि के बाहर नहीं आ पाने से यदि आमफहम नहीं हो पाए हैं , तो भी इस बात की क्या गारंटी है कि आने वाले कल के काव्य रसिक इनके भीतर के इनसान को पहचान पाएँगे ? पाठक पर ऐसा अविश्वास करना काव्य की विकास यात्रा पर अविश्वास करना है।
- यहाँ वे एक ओर जैनेन्द्र के चर्चित उपन्यास सुनीता का प्रसंग लाकर मीरा की नयी अर्थवत्ता की तलाश करते हैं तो दूसरी ओर विमर्श प्रसंग पर उनका मत है - ‘मीरा का साहित्येतर अनुशीलन कितना ही वांछनीय हो - उनके समग्र अध्ययन के लिए वह बहुत जरूरी भी है - उनके काव्य का सौन्दर्यात्मक अनुभव हम काव्य रसिक के रूप में ही कर सकेंगे।
- यहाँ वे एक ओर जैनेन्द्र के चर्चित उपन्यास सुनीता का प्रसंग लाकर मीरा की नयी अर्थवत्ता की तलाश करते हैं तो दूसरी ओर विमर्श प्रसंग पर उनका मत है - ‘‘मीरा का साहित्येतर अनुशीलन कितना ही वांछनीय हो - उनके समग्र अध्ययन के लिए वह बहुत जरूरी भी है - उनके काव्य का सौन्दर्यात्मक अनुभव हम काव्य रसिक के रूप में ही कर सकेंगे।
- यहाँ वे एक ओर जैनेन्द्र के चर्चित उपन्यास सुनीता का प्रसंग लाकर मीरा की नयी अर्थवत्ता की तलाश करते हैं तो दूसरी ओर विमर्श प्रसंग पर उनका मत है - ‘‘ मीरा का साहित्येतर अनुशीलन कितना ही वांछनीय हो - उनके समग्र अध्ययन के लिए वह बहुत जरूरी भी है - उनके काव्य का सौन्दर्यात्मक अनुभव हम काव्य रसिक के रूप में ही कर सकेंगे।