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इंद्रधनु meaning in Hindi

pronunciation: [ inedredhenu ]
इंद्रधनु meaning in English

Examples

  1. ये प्रत्यय जिन अर्थविषयों को प्रकट करते हैं उन्हें व्याकरण की परिभाषा में वृत्ति कहते हैं , जैसे वर्षा में होनेवाले इंद्रधनु को वार्षिक इंद्रधनु कहेंगे।
  2. ये प्रत्यय जिन अर्थविषयों को प्रकट करते हैं उन्हें व्याकरण की परिभाषा में वृत्ति कहते हैं , जैसे वर्षा में होनेवाले इंद्रधनु को वार्षिक इंद्रधनु कहेंगे।
  3. किताब से लिया गया : Mbschlink “ एक बाइबिल परिप्रेक्ष्य से एक नए युग ” , Constance Cumbey पुस्तक के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी के “ छुपे हुए खतरों इंद्रधनु ष. ”
  4. बर्फ और सोडे मे अपने आप को मिलाता वह तरल पदार्थ जब हमारे मन-मस्तिष् क में बैठ जाता तब हम इंद्रधनु षी सपनों के पूरे विश् व के एकमात्र वितरक रूपी टायकून हो जाते .
  5. मिज़ाज में थोडी सख्त , तो जानिये बच्चों को पढा रहे थे , कुछ मसालेदार् , चटपटी तो रसोई में , अनमनी सी , बेजान तो आज हो गई खटपट घर में और कोमल , नाज़ुक सी तो दिखाई दिया है इंद्रधनु ष.
  6. अपने प्रतिबिंब थके अंग , घने बादल , बौछार , उड़ी मिट्टी की गंध , हर एक रंग में इंद्रधनु के , कहां-कहां कृष्ण नहीं दीख पड़ते थे ! कोई भी ऐसा होना हो जाए किसी का शायद तब आभास हो सकता है लीला का।
  7. देवनागरी लिपिमध्ये ती परी अस्मानीची ती परी अस्मानीची ती परी अस्मानीची ती परी अस्मानीची डोळे तिचे सळसळती माश्यांची जोड़ी ओठ तिचे संत्र्यांच्या रसरसत्या फोड़ी गालावर थरथरते साय दुधाची अंगावर चव धरते गोड मधाची ती बघते तेव्हा हृदयात धड़ धड़ होते हसते तेव्हा भोवतीचे सारे भिरभिरते वळते तेव्हा बगळ्यांच्या उड़ती शुभ्र माळा सप्तरंगी इंद्रधनु येत असे आभाळा
  8. यह कविता इस दुर्दम्य समय में आत्मलीनता , इंद्रधनु ष चुराने की कामना, आसमान में उड़ते रहने, अनजाने आततायी के हाथों उज्ज्वल वीराने में, चुम्बन में ज़हर चाटकर, कोयल को टेसू समझने की गलती करने को मृत्यु का कारण बता रही है, जो भूमंडलीकरण की इस लकदक में, प्रलोभन, नासमझी और यथार्थ बोध से रहित होने के कारण भारतीय मनुष्य का मृत्यु-लेख है।
  9. यह कविता इस दुर्दम्य समय में आत्मलीनता , इंद्रधनु ष चुराने की कामना, आसमान में उड़ते रहने, अनजाने आततायी के हाथों उज्ज्वल वीराने में, चुम्बन में ज़हर चाटकर, कोयल को टेसू समझने की गलती करने को मृत्यु का कारण बता रही है, जो भूमंडलीकरण की इस लकदक में, प्रलोभन, नासमझी और यथार्थ बोध से रहित होने के कारण भारतीय मनुष्य का मृत्यु-लेख है।
  10. भग्नदूत , चिंता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्रधनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, पूर्वा, सुनहले शैवाल, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, नदी की बाँक पर छाया, ऐसा कोई घर आपने देखा है (हिंदी) प्रिज़न डेज़ एंड अदर पोयम्स (अंग्रेजी)
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