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असंख meaning in Hindi

pronunciation: [ asenkh ]
असंख meaning in English

Examples

  1. ' असंख सूर मुह भरव सार' कहकर आत्मिक योद्धा की विवशता का दर्शन दिया है जो धर्म क्षेत्र में कुरीतियों का सामना करते हुए उनके वार को झेलता रहता है।
  2. ' असंख सूर मुह भरव सार' कहकर आत्मिक योद्धा की विवशता का दर्शन दिया है जो धर्म क्षेत्र में कुरीतियों का सामना करते हुए उनके वार को झेलता रहता है।
  3. ' असंख सूर मुह भरव सार' कहकर आत्मिक योद्धा की विवशता का दर्शन दिया है जो धर्म क्षेत्र में कुरीतियों का सामना करते हुए उनके वार को झेलता रहता है।
  4. ' असंख सूर मुह भरव सार' कहकर आत्मिक योद्धा की विवशता का दर्शन दिया है जो धर्म क्षेत्र में कुरीतियों का सामना करते हुए उनके वार को झेलता रहता है।
  5. हे भाई , पुत्र, धन और सभी पदार्थ, इस्त्री के लाड पिआर आदि, असंख लोग एन्हे और सभी मौज मस्तिओं को छोढ़ कर इस संसार से चले गये और चले जाएगे.
  6. पर कुछ यज्ञ नियमित रूप से सब आर्य गृहस्थों को करने पड़ते थे . इन यज्ञोंका क्रम गोपद ब्राह्मण में इस प्रकार बताया गया है-- अग्न्याधान, पूर्णाहुति, अग्निहोत्र, दशपूर्णयास, आग्रहायण (ग्ववसस्येष्ठि) चातुर्मास्य, पशुवध, अग्नि-ष्टोम, राजसूय, बाजपेय, अश्वमेध, पुरूषमेध, सर्वमेध, दक्षिणावालेबहुत दक्षिणा-वाले और असंख दक्षिणावाले.
  7. असंख गल बढ़ हतिआ कमाहि असंख पापी पापु करि जाई असंख मलेछ मलु भखि खाहि असंख निंदक सिरि करहि भारु नानकु नीचु कहैं बीचारु तूं सदा सलामत निरंकार ॥ आदि गुरु श्री नानकजी साहिब कहते हैं - लोगों का गला काटनें वाले पापी - हत्यारे . .... अनेक हैं । निंदक भी अनेक हैं .....
  8. असंख गल बढ़ हतिआ कमाहि असंख पापी पापु करि जाई असंख मलेछ मलु भखि खाहि असंख निंदक सिरि करहि भारु नानकु नीचु कहैं बीचारु तूं सदा सलामत निरंकार ॥ आदि गुरु श्री नानकजी साहिब कहते हैं - लोगों का गला काटनें वाले पापी - हत्यारे . .... अनेक हैं । निंदक भी अनेक हैं .....
  9. असंख गल बढ़ हतिआ कमाहि असंख पापी पापु करि जाई असंख मलेछ मलु भखि खाहि असंख निंदक सिरि करहि भारु नानकु नीचु कहैं बीचारु तूं सदा सलामत निरंकार ॥ आदि गुरु श्री नानकजी साहिब कहते हैं - लोगों का गला काटनें वाले पापी - हत्यारे . .... अनेक हैं । निंदक भी अनेक हैं .....
  10. असंख गल बढ़ हतिआ कमाहि असंख पापी पापु करि जाई असंख मलेछ मलु भखि खाहि असंख निंदक सिरि करहि भारु नानकु नीचु कहैं बीचारु तूं सदा सलामत निरंकार ॥ आदि गुरु श्री नानकजी साहिब कहते हैं - लोगों का गला काटनें वाले पापी - हत्यारे . .... अनेक हैं । निंदक भी अनेक हैं .....
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