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अप्रमत्त meaning in Hindi

pronunciation: [ apermett ]
अप्रमत्त meaning in English

Examples

  1. गुरूदेव श्री प्रेमसुख महाराज ने भारंड पक्षी की तरह अप्रमत्त जीवन जीते हुए लक्षांक्ष को अपने जीवन में प्रवेश नहीं लेने दिया।
  2. उद्योगशील , स्मृतिमान, शुची (दोषरहित) कर्म करने वाले, सोच-समझ कर काम करने वाले, संयमी, धर्म का जीवन जीने वाले, अप्रमत्त (व्यक्ति) का यश खूब पढ़ता है.
  3. प्रयोजनमूलक हिन् दी के लिए आपने अप्रमत्त भाव से जो कार्य किया उससे न केवल केन् द्रीय हिन् दी संस् थान को अपने शैक्षिक कार्यक्रमों में बदलाव के लिए प्रेरणा मिली अपितु बाद में विश् वविद् यालय अनुदान आयोग को भी मार्गदर्शन प्राप् त हुआ।
  4. अप्रमत्त साधना - : महाश्रमण पद पर अलंकृत होने के बाद उनकी स्वतन्त्र रूप से तीन यात्राए हुई जो जन सम्पर्क की दृष्टी से बड़ी ही प्रभावशाली रही थी ! माध कृष्णा 10, स.2047 (10 जनवरी 1990) को अपनी सिवांची मालाणी की यात्रा परिसम्पन्न कर सोजत रोड में पुज्यवरो के दर्शन किये तब आचार्य तुलसी ने कहा -“ मै इस अवसर पर इतिहास की पुनरावृति करता हुआ तुम्हे अप्रमत्त की साधना का उपहार देता हु .”
  5. अप्रमत्त साधना - : महाश्रमण पद पर अलंकृत होने के बाद उनकी स्वतन्त्र रूप से तीन यात्राए हुई जो जन सम्पर्क की दृष्टी से बड़ी ही प्रभावशाली रही थी ! माध कृष्णा 10, स.2047 (10 जनवरी 1990) को अपनी सिवांची मालाणी की यात्रा परिसम्पन्न कर सोजत रोड में पुज्यवरो के दर्शन किये तब आचार्य तुलसी ने कहा -“ मै इस अवसर पर इतिहास की पुनरावृति करता हुआ तुम्हे अप्रमत्त की साधना का उपहार देता हु .”
  6. अप्रमत्त साधना ▄▄▄▄▄▄▄ महाश्रमण पद पर अलंकृत होने के बाद उनकी स्वतन्त्र रूप से तीन यात्राए हुई जो जन सम्पर्क की दृष्टी से बड़ी ही प्रभावशाली रही थी ! माध कृष्णा 10 , स .2047 ( 10 जनवरी 1990 ) को अपनी सिवांची मालाणी की यात्रा परिसम्पन्न कर सोजत रोड में पुज्यवरो के दर्शन किये तब आचार्य तुलसी ने कहा - ” मै इस अवसर पर इतिहास की पुनरावृति करता हुआ तुम्हे अप्रमत्त की साधना का उपहार देता हु . ”
  7. अप्रमत्त साधना ▄▄▄▄▄▄▄ महाश्रमण पद पर अलंकृत होने के बाद उनकी स्वतन्त्र रूप से तीन यात्राए हुई जो जन सम्पर्क की दृष्टी से बड़ी ही प्रभावशाली रही थी ! माध कृष्णा 10 , स .2047 ( 10 जनवरी 1990 ) को अपनी सिवांची मालाणी की यात्रा परिसम्पन्न कर सोजत रोड में पुज्यवरो के दर्शन किये तब आचार्य तुलसी ने कहा - ” मै इस अवसर पर इतिहास की पुनरावृति करता हुआ तुम्हे अप्रमत्त की साधना का उपहार देता हु . ”
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