×

अतिक्रांत meaning in Hindi

pronunciation: [ atikeraanet ]
अतिक्रांत meaning in English

Examples

  1. इन पर्वों पर अब भी लोक कलाकारों के कार्यक्रम होते हैं किन्तु वर्तमान समय में फिल्मी गीतों और डिस्कों ने इन मंचों को अतिक्रांत कर रखा है।
  2. स् लमडॉग ' में कैमरा अतिक्रांत करता है , इसे भी ज् यादह वो ' पेनिट्रेट ' करता है , और तब वो ' ऑफ़ेंसिव ' लगता है .
  3. जैसे बरसात में नदी-नाले अपना संकुचित मर्यादित रूप को छोड़कर उदात्त और उदार हो जाते है , वैसे प्रेम में पगा हुआ मनुष्य अपनी संकुचित मर्यादाओं को अतिक्रांत कर चुकता है।
  4. जैसे बरसात में नदी-नाले अपना संकुचित मर्यादित रूप को छोड़कर उदात्त और उदार हो जाते है , वैसे प्रेम में पगा हुआ मनुष्य अपनी संकुचित मर्यादाओं को अतिक्रांत कर चुकता है।
  5. उसका मनःपूत व्यक्तित्व अपने पूर्ण प्रकर्ष में महाभारत युद्ध के अंत में अश्वत्थामा को क्षमा करने के प्रसंग में उभर आया है जहाँ वह मानुषी की लौकिक भूमिका को अतिक्रांत कर एक अलौकिक भूमिका पर स्वयं को अधिष्ठित करती है।
  6. शरीर से नहीं , मगर भाषा से और भाषा में विद्यमान रहना सम्भव है-और कि काल कोशरीर से नहीं, बल्कि सिर्फ श्रुति से, भाषा से ही अतिक्रांत किया जा सकता है-यहरहस्य मनुष्य के आगे हजारों वर्ष पहले ही उदघाटित हो चुका था.
  7. व्यंग एक ऐसी चीज है जो विधाओं की सीमा को अतिक्रांत करती है यद्यपि यह एक सच है कि व्यंग अपने में गद्य की एक विधा भी है , यह उपन्यास , कहानी , कविता , नाटक आदि विधाओं में स्वतंत्रतापूर्वक विचरण करती रहती है।
  8. बहने लगता है कानों से मेरे पिघला हुआ गुबार आँखों में बहती है वेदना की मोटी धार तब तोड़ देता हूँ मैं बंधी हुई सारी बेड़ियाँ सदियों की छेद देता हूँ परम्पराओं की भोथरी ढाल भटकता हूँ उन्मथित व्यथित अतिक्रांत क्रुद्ध हो कर अपनी स्वतंत्रता की खातिर
  9. जब - जब उसकी अस्मिता को ठेस पहुँचती है तब - तब उसने अपनी अस्मिता की रक्षा का सशक्त प्रयास किया है - रूढ़ियों और परंपरा को अतिक्रांत करके भी , द्यूतप्रसंग में स्वयं को दांव पर लगाने के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह लगाती हुई द्रौपदी पूछती है कि यदि मुझे दांव पर लगाने के पूर्व युधिष्ठिर स्वयं को हार गये थे तो उन्हें मुझे दांव पर लगाने का क्या अधिकार था ?
  10. बाद में इनकी प्रकृति-कविताएँ अधिकतर ‘ दर्शन-सम्मिश्र ' हो गई हैं और प्रकृति के मलीमस रूप से प्रायः दूर ही रही हैं द्विवेदीयुगीन प्रकृति-काव्य से छायावादी प्रकृति-काव्य को अलग करने वाले जितने लक्षण हैं , उनका सबसे अधिक विकास इनकी प्रकृति-कविताओं में ही हुआ है प्रकृति सौन्दर्य की ‘ अभिधा ' को अतिक्रांत कर उसकी सूक्ष्म-सुंदर व्यंजना को एक उन्नत स्तर और नूतन अर्थ-संदर्भ प्रदान करने की दृष्टि से हिन्दी काव्येतिहास में इनका अद्वितीय स्थान है।
More:   Prev  Next


PC Version
हिंदी संस्करण


Copyright © 2023 WordTech Co.