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अखाद्य पदार्थ meaning in Hindi

pronunciation: [ akhaadey pedaareth ]
अखाद्य पदार्थ meaning in English

Examples

  1. इसके बावजूद मिलावट खोर व्यापारी अधिक लाभ के लिए खाद्य पदार्थों में घातक रसायनों व अन्य अखाद्य पदार्थ मिलाकर लोगों के जीवन से खिलवाड़ करते हैं।
  2. पिछले कुछ समय से टॉफियों तथा चाकलेटों का निर्माण करने वाली अनेक कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों में आपत्तिजनक अखाद्य पदार्थ मिलाये जाने की खबरें सामने आ रही हैं।
  3. यदि किसी विशिष्ट अखाद्य पदार्थ को खाने की अनोखी इच्छा जगे तो कोई क्या करें ? डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि उस में कोई पोषण परक विकार पैदा हो रहा है।
  4. ये निरीह पशु इस तरह के प्रतिकूल अखाद्य पदार्थ खाकर अपने शरीर में नमक एवं अन्य खनिज पदार्थों का संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं और साधारण नमक की अनुपलब्धता के दौर में ऐसे घृणित अखाद्यों पर पशुओं की निर्भरता बढ़ती ही जा रही है।
  5. एक समय था जब दूध में पानी व् घी में डालडा अपमिश्रण के रूप में प्रयोग होता था किन्तु विगत वर्षों में दूध घी के साथ अन्य खाने पीने की वस्तुओं में विषाक्त स्वभाव वाले खतरनाक रसायन पशु चर्बी एवं अन्य अखाद्य पदार्थ मिलाये जा रहे है
  6. क्या आप जानते है ? चाकलेट में काफ रेनेट ( बछड़े के मांस का रस मिला होता है ) पिछले कुछ समय से टाफियों तथा चाकलेटों का निर्माण करने वाली अनेक कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों में आपत्ति जनक अखाद्य पदार्थ मिलाये जाने की खबरें सामने आ रही हैं ।
  7. ( Rheumatic causes inflammation of tissues and organs and can result in serious damage to the heart valves , joints , central nervous system ) माँस-मद्य-मैथुन-मित्रत्रय से “ दुर्बल स्नायु ” ( Nervous debility ) : - माँस एक ऎसा उत्तेजक अखाद्य पदार्थ है , जो कि इन्सान में तामसिक वृति की वृद्धि करता है .
  8. अर्थी और मूर्दों के ऊपर से उतारे हुए फूल-मालाओं से उन चाण्डालों के घर सजे हुए थे और वहीं उतारे गये कपड़े चारों ओर फैलायें गये थे उसी बस्ती में घुसकर भूखे ब्रह्मर्षि घर-घर घूमकर भिक्षा मांगने लगे लेकिन फिर भी वहां कहीं भी किसी के भी हाथ से उन्हें अन्न-जल , फल-फूल, जड़-मूल, सूखी मांस-मछली इत्यादि कोई भी खाद्य अथवा अखाद्य पदार्थ उपलब्ध न हो सका।
  9. अर्थी और मूर्दों के ऊपर से उतारे हुए फूल-मालाओं से उन चाण्डालों के घर सजे हुए थे और वहीं उतारे गये कपड़े चारों ओर फैलायें गये थे उसी बस्ती में घुसकर भूखे ब्रह्मर्षि घर-घर घूमकर भिक्षा मांगने लगे लेकिन फिर भी वहां कहीं भी किसी के भी हाथ से उन्हें अन्न-जल , फल-फूल , जड़-मूल , सूखी मांस-मछली इत्यादि कोई भी खाद्य अथवा अखाद्य पदार्थ उपलब्ध न हो सका।
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