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न्याय निर्णय sentence in Hindi

pronunciation: [ nyaya nirnaya ]
न्याय निर्णय meaning in English

Examples

  1. गवाह पी0डब्ल्यू-1 कुशल सिंह के कथनानुसार उसके दोनों बेटे इण्टरमीडिएट पास थे तथा प्रशिक्षण प्राप्त नहीं थे, इसलिए ऐसी स्थिति में जैसा कि माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर अपने विभिन्न न्याय निर्णय में यह अवधारित किया गया है कि एक अकुशल श्रमिक भी सामान्यतः 100.00 रूपये प्रतिदिन कमा लेता है, ऐसी परिस्थिति में मैं मृतक की आय प्रकल्पित आय माना जाना न्यायोचित समझता हूं।
  2. इस बात को पी0डब्ल्यू0-2 द्वारा अपने साक्ष्य में सिद्व किया गया है इसलिए न तो यह माना जा सकता है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट व पी0डब्ल्यू0-2 के बयान में विरोधाभाष है और न अभियोजनपक्ष द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कराने के बाद अभियोजन कहानी मे बृद्वि की गयी है इसलिए इस सम्बन्ध में अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत न्याय निर्णय इस मामले की परिस्थितियां में लागू नहीं होते है।
  3. वैसे भी जहॉ पर घटना को घायल पी0डब्ल्यू0-1 गोबिन्द सिंह व घटना के चश्मदीद गवाह पी0डबल्यू0-2 त्रिलोक सिंह द्वारा सिद्व किया गया है तो ऐसी स्थिति में अभियुक्तगण द्वारा कुन्दन सिंह की हत्या करने का और गोबिन्द सिंह की हत्या के प्रयास का हेतुक का अधिक महत्व नहीं रह जाता है तथा इस सम्बन्ध में अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत न्याय निर्णय इस मामले की परिस्थितियों में लागू नहीं होते है।
  4. " प्रस्तुत मामले में विचारण न्यायालय द्वारा साक्षी श्रीमती बन्दुली देवी को, जो वरवक्त घटना मृतका के साथ बैठी थी, को आवश्यक एवं महत्वपूर्ण साक्षी मानते हुए साक्ष्य में परीक्षित करवाया जाना उचित न्याय निर्णय हेतु आवश्यक पाया है और जिसमें कोई भी त्रुटि विचारण न्यायालय द्वारा नहीं की गई है, क्योंकि उचित न्याय निर्णय के लिए यह आवश्यक भी है कि यदि चश्मदीद गवाह पत्रावली पर उपलब्ध है, तो उनको साक्ष्य में परीक्षित किया जाये।
  5. " प्रस्तुत मामले में विचारण न्यायालय द्वारा साक्षी श्रीमती बन्दुली देवी को, जो वरवक्त घटना मृतका के साथ बैठी थी, को आवश्यक एवं महत्वपूर्ण साक्षी मानते हुए साक्ष्य में परीक्षित करवाया जाना उचित न्याय निर्णय हेतु आवश्यक पाया है और जिसमें कोई भी त्रुटि विचारण न्यायालय द्वारा नहीं की गई है, क्योंकि उचित न्याय निर्णय के लिए यह आवश्यक भी है कि यदि चश्मदीद गवाह पत्रावली पर उपलब्ध है, तो उनको साक्ष्य में परीक्षित किया जाये।
  6. अब जहां तक साक्षी श्रीमती बन्दुली देवी एवं नकल जी0डी0 आदि को तलब करने का प्रश्न है, के संबंध में विचारण न्यायालय द्वारा पत्रावली का अवलोकन करने के उपरांत उचित न्याय निर्णय हेतु साक्षी श्रीमती बन्दुली देवी व संबंधित दस्तावेजों को आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होना पाया गया और जिस कारण से विचारण न्यायालय द्वारा साक्षी श्रीमती बन्दुली देवी व पंचायतनामा एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सत्य प्रतिलिपि तथा अभियुक्तगण की ड्यूटी लगाए जाने के बावत नकल जी0डी0 को तलब किया जाना उचित न्याय निर्णय हेतु आवश्यक पाया।
  7. अब जहां तक साक्षी श्रीमती बन्दुली देवी एवं नकल जी0डी0 आदि को तलब करने का प्रश्न है, के संबंध में विचारण न्यायालय द्वारा पत्रावली का अवलोकन करने के उपरांत उचित न्याय निर्णय हेतु साक्षी श्रीमती बन्दुली देवी व संबंधित दस्तावेजों को आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होना पाया गया और जिस कारण से विचारण न्यायालय द्वारा साक्षी श्रीमती बन्दुली देवी व पंचायतनामा एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सत्य प्रतिलिपि तथा अभियुक्तगण की ड्यूटी लगाए जाने के बावत नकल जी0डी0 को तलब किया जाना उचित न्याय निर्णय हेतु आवश्यक पाया।
  8. जहॉ तक विद्वान जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) का यह तर्क कि अभियुक्तगण के विरूद्व भारतीय दण्ड संहिता की धारा-306 का आरोप सिद्व होता है और इस सम्बन्ध में विद्वान जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) द्वारा जो न्याय निर्णय प्रस्तुत किया गया है वह इस मामले की परिस्थितियों में लागू नहीं होता है क्योकि पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह सिद्व हो सके कि अभियुक्तगण द्वारा मृतका का किसी प्रकार से उत्पीडन किया गया हो या उसे आत्महत्या करने के लिए विवश किया गया है।
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