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जनशून्य sentence in Hindi

pronunciation: [ janashunya ]
जनशून्य meaning in English

Examples

  1. ओह गॉड! चलने की जल्दी में रस्सी रखने की सुध ही किसे थी? चारों ओर निराश दृष्टि से ताकते ही स्पष्ट हो गया-रस्सी की उस जनशून्य सड़क पर आशा करना ही व्यर्थ था।
  2. ब्रह्मचारी ऋषियों द्वारा वेदों के दुर्गम ज्ञान को प्राणीमात्र के कल्याण के लिए सुलभ बनाने के उद्देश्य से जनशून्य अरण्य (वन) में इस विद्या का अनुसंधानपरक पठन पाठन किया गया, इसलिए इन्हें आरण्यक कहा जाता है।
  3. देर रात में शान्त जनशून्य सड़कों पर से होकर, अपने ही पदचापों की आवाज सुनतेहुए, जब हम घर की ओर लौटते तो मैं भरा-भरा सोचता रहता, जीवन मैं सत्य क्या है, यह निष्कलुष सस्नेह-सौजन्य या हत्या लूटमार की राजनीति और उसपर पनपता बर्बरपुलिस राज्य.
  4. मालव राग की वह बंदिश आज, मैं भी कभी-कभी अपनी इस जनशून्य कोठी में, ठीक वैसे ही दोहरा उठता हूँ, अन्तर यही है तब इस कोठी की दीवारें मेरे पिता के रौबीले कंठस्वर में काँपती थीं, आज स्वयं मैं काँपने लगता हूँ।
  5. उस दिन लगभग गुमसुम और उदास वह जनशून्य स्टेशन से मेरे साथ बाहर हुआ था और फिर वह दिन भी आया जब दल के आदेशों पर उसे कानपुर, ' प्रताप ', सुरेश दादा और मुझे छोड़कर एक छोटे स्कूल का हेडमास्टर बनकर अन्यत्र जाना पड़ा।
  6. अंततः भाई बहनों ने गहन मंत्रणा कर आश्रम के विस्तृत प्रांगन के एक जनशून्य अलंघ्य दुकूल में महारानी के रहने की समुचित व्यवस्था कर दी तथा महारानी से वचन लिया कि अपनी गोपनीयता को संरक्षित रखते हुए वे कभी भी आश्रम के अवांछित भाग में आवागमन नहीं करेंगी.
  7. अंततः भाई बहनों ने गहन मंत्रणा कर आश्रम के विस्तृत प्रांगन के एक जनशून्य अलंघ्य दुकूल में महारानी के रहने की समुचित व्यवस्था कर दी तथा महारानी से वचन लिया कि अपनी गोपनीयता को संरक्षित रखते हुए वे कभी भी आश्रम के अवांछित भाग में आवागमन नहीं करेंगी.
  8. बाल मनोविज्ञान की ओर भी ध्यान गया | लेखन शैली की बात ही क्या, कुछ शब्दों की ओर आकर्षित हुआ और उन्हें नोट किये मसलन “ धवल उर्मी में धुल कर बह गया ”“ करुण क्रंदन ने अभिशप्त ”“ वात्सल्यमयी छत्रछाया,, ”“ जनशून्य अलंघ्य दुकूल ”“ ह्रदय को दग्ध कर दिया ””
  9. अचानक एक विकट चीत्कार सुनकर चौंककर देखा, मैं अपनी उसी कैंपखाट पर पसीने में तर बैठा हुआ था-सुबह के उजाले में कृष्णपक्ष का खंडित चन्द्र जागरण से क्लांत रोगी के समान पीला हो गया था-एवं अपना पागल मेहरअली अपने हर दिन के नियमानुसार सुबह-सुबह जनशून्य रास्ते पर ‘ हट जाओ, हट जाओ,‘ चिल्लाता जा रहा था।
  10. इस वक्त मैं आनमला पहाड़ी की चोटी पर हूँ जनशून्य है यह जगह, एक दम सन्नाटा कभी-कभी दक्षिण से उत्तर की ओर तेजी से गुजरते देवतागण दिखाई दे जाते हैं आजकल गन्धर्व और अप्सराएँ अधिक नहीं आतीं यहाँ परियाँ तो शायद घाटी में घूमती रह जातीं होंगी उन्हें इलाइची, काली मिर्च, चाय जो चाहिए
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