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चोरबाजारी sentence in Hindi

pronunciation: [ corabajari ]
चोरबाजारी meaning in English

Examples

  1. कभी कभी स्वार्थ की भावना इतनी प्रबल हो जाती है कि वणिक् लोग वस्तुओं में मिलावट करके बेचते हैं, माल के तौलने में बेईमानी करते हैं और झूठे विज्ञापन देकर अथवा चोरबाजारी करके अपने ग्राहकों को ठगने का प्रयत्न करते हैं।
  2. कभी कभी स्वार्थ की भावना इतनी प्रबल हो जाती है कि वणिक् लोग वस्तुओं में मिलावट करके बेचते हैं, माल के तौलने में बेईमानी करते हैं और झूठे विज्ञापन देकर अथवा चोरबाजारी करके अपने ग्राहकों को ठगने का प्रयत्न करते हैं।
  3. साधन परिमित होने के कारण वह जो कार्य कर रहा है और उसका प्रभाव वस्तु की उत्पति या पूर्ति पर क्या पड़ रहा है, इसका विचार तो अर्थशास्त्र में होगा; चोरबाजारी करनेवाले के संबंध में राज्य का क्या कर्तव्य है, इसका विचार राजनीतिशास्त्र या दंडनीति में होगा।
  4. साधन परिमित होने के कारण वह जो कार्य कर रहा है और उसका प्रभाव वस्तु की उत्पति या पूर्ति पर क्या पड़ रहा है, इसका विचार तो अर्थशास्त्र में होगा; चोरबाजारी करनेवाले के संबंध में राज्य का क्या कर्तव्य है, इसका विचार राजनीतिशास्त्र या दंडनीति में होगा।
  5. उनके स्वामी चोरबाजारी, करचोरी और तमाम काले धंधों की बेशुमार कमाई से बनवाई अपनी कोठियों में भी एक खास कोना देवपूजा के लिए ज़रूर बनवा लेते हैं ताकि मूर्तियों के आगे मत्था टेकने के बाद वे बिना झिझक अनैतिक दुनियावी माया में निमग्न हो सकें. ”
  6. सूत्रों का कहना है कि गुप्ता जी अपने कार्यालय में बैठकर पोर्न (अश्लील) वेब साइटें खूब देखते हैं क्योंकि भरपूर अवैध कमाई होने से उनके पास बहुत खाली समय होता है और इसका इस्तेमाल वे पोर्न वेब साइटें देखने और चोरबाजारी करने में करते हैं.
  7. अगर शहर विकास के मुहाने पर खड़ा है तो, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जगह-जगह खुदी सड़कें, बेतरतीब व बेहाल यातायात और तकरीबन रोज होती चोरी व हत्याएं प्रशासन की चोरबाजारी, लापरवाही व शहर की बदहाली की कहानी कह रहा है.
  8. अच्छी मुद्रा संग्रह के लिये उपयुक्त होने, धातु के रूप में विक्रय द्वारा विशेष लाभार्जन के निमित्त देशविदेश में चोरबाजारी के लिये अधिक उपयुक्त होने तथा बुरी मुद्रा की बुराइयों के कारण अपने पास न रखने की मनोवैज्ञानिक प्रवृक्ति के कारण अपने मूल कार्य क्रयविक्रय के साधन में प्रयुक्त होने की अपेक्षा उपर्युक्त कार्यों के लिये प्रचलन से बाहर कर दी जाती है।
  9. अच्छी मुद्रा संग्रह के लिये उपयुक्त होने, धातु के रूप में विक्रय द्वारा विशेष लाभार्जन के निमित्त देशविदेश में चोरबाजारी के लिये अधिक उपयुक्त होने तथा बुरी मुद्रा की बुराइयों के कारण अपने पास न रखने की मनोवैज्ञानिक प्रवृक्ति के कारण अपने मूल कार्य क्रयविक्रय के साधन में प्रयुक्त होने की अपेक्षा उपर्युक्त कार्यों के लिये प्रचलन से बाहर कर दी जाती है।
  10. बेनीपुरी जी ने आगे लिखा है की सरकारी विज्ञापनों के अलावा कागज के कोटे ने भी अख़बारों की नैतिक रीढ़ तोड़ दी थी अधिक ग्राहक संख्या बताकर अख़बारों के मालिक कागज का बरा-बरा कोटा अफसरों से करा लेते और बचे हुए कागज की चोरबाजारी करते जनता चोर बाजारी से परेशान थी उसकी रक्षा कौन करे जो स्वयं अपना मुह काला कर चुका है.
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