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क्रमाकुंचन sentence in Hindi

pronunciation: [ kramakumcan ]
क्रमाकुंचन meaning in English

Examples

  1. छोटी आंत और पाचक प्रणाली का शेष भाग क्रमाकुंचन करता है जिससे भोजन को उदर से मलाशय तक ले जाया जाता है और भोजन को पाचक रसों से मिला कर अवशोषित किया जाता है.
  2. छोटी आंत और पाचक प्रणाली का शेष भाग क्रमाकुंचन करता है जिससे भोजन को उदर से मलाशय तक ले जाया जाता है और भोजन को पाचक रसों से मिला कर अवशोषित किया जाता है.
  3. छोटी आंत और पाचक प्रणाली का शेष भाग क्रमाकुंचन करता है जिससे भोजन को उदर से मलाशय तक ले जाया जाता है और भोजन को पाचक रसों से मिला कर अवशोषित किया जाता है.
  4. उनके आमाशय में ज् यादा भोजन इकट्ठा हो जाता है, जिसे पचाने के लिए जरूरी क्रमाकुंचन गति करने में आमाशय को दिक् कत होने लगती है और अतिरिक् त ऊर्जा की जरूरत महसूस होती है।
  5. हर 10 से 20 सेकण्ड के अंतराल पर मूत्र नलियों की पेशीय परत में पैदा होने वाली क्रमाकुंचन तरंगे मूत्र को वृक्कीय (गुर्दे) श्रोणि (renal pelvis) से फुहारों के रूप में थोड़ा-थोड़ा मूत्राशय में पहुंचाती रहती है।
  6. इसके फलस्वरुप, शरीर में होने वाली अनेक सतत् क्रियाओं जैसे-उपापचयी, वृद्धि, ह्रदय स्पंदन, रक्तचाप, आहारनाल की क्रमाकुंचन गति, स्त्रावण, लैंगिक परिपक्वन, प्रजनन, पुनरुद्भवन, प्रतिरक्षण, आचार-व्यवहार आदि तथा विभिन्न प्रतिक्रियाओं का नियमन होता है।
  7. वेगस तंत्रिका के उद्दीपन के कारण आमाशय विस्फारित हो जाता है जिसके कारण क्रमाकुंचन तरंगे ज्यादा पावरफुल हो जाती है तथा गैस्ट्रिन (gastrin) नाम के हार्मोन का स्राव होता है जो आमाशय की गतिशीलता और जठर रसों के स्राव को उद्दीपत करता है।
  8. क्रमाकुंचन (peristalsis) के दौरान दो तरह के पेशीय संकुचन होते हैं-पहला-लंबाकार चिकनी पेशी परत का संकुचन होने से ग्रासनील के ल्यूमन (lumen) का व्यास बढ़ जाता है और दूसरा वृत्ताकार चिकनी पेशी परत का संकुचन होने से ग्रास पाचक नली के साथ-साथ आगे की तरफ बढ़ता है।
  9. एक बार प्राणी जितना भोजन ग्रहण करता हैवह उसकी अचेतन इच्छा पर निर्भर करता है, इसी इच्छा को भूंख कहते है किसी समय जिस प्रकार के स्वाद वाले भोजन की इच्छा होती है वह हमारी झुधा कहलाती हैभूंख का आभास हमें आमाशय की दीवार में उपस्थित ऐसे सूक्ष्म आन्तारांगीय संवेदांगों द्वारा होता हैजो आमाशय के देर तक रिक्त रहने से संवेंदित होते है यह संवेदना जब मश्तिष्क तक पहुंचती है,तो हैपोथैलेमस के पार्श्व भागों में स्थित भूंख के केन्द्र संवेदित होकर आमाशय की दीवार में तीव्र क्रमाकुंचन प्रेरित करते हैइसी से हमे भूंख का आभास होता है...........(जारी है)
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