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कर्तव्य-पालन sentence in Hindi

pronunciation: [ kartavya-palan ]
कर्तव्य-पालन meaning in English

Examples

  1. कर्तव्य-पालन करने पर कर्ता अभय हो जाता है अर्थात् बंधन से छूट जाता है और किसी प्रकार का दुःख शेष नहीं रहता, गरीबी सदा के लिए मिट जाती है ।
  2. मैं यह निवेदन कर रहा था कि जो सही कर्तव्य-पालन करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं, उन्हें इस तरह की वेदना होती है कि सभी को सफलता मिलनी चाहिए ।
  3. ”इस कर्तव्य-पालन के दौरान अनेक बार उद्देश्य तथा आदर्शों के प्रति मेरी निष्ठा, ईमानदारी एवं प्रतिबध्दता की परीक्षा हुई है, खासतौर पर जब मुझे अपने जीवन में किसी विपति का सामना करना पड़ा।
  4. इस कर्तव्य-पालन के दौरान अनेक बार उद्देश्य तथा आदर्शों के प्रति मेरी निष्ठा, ईमानदारी एवं प्रतिबध्दता की परीक्षा हुई है, खासतौर पर जब मुझे अपने जीवन में किसी विपत्ति का सामना करना पड़ा।
  5. अब, जब मनुष्य का समाज एकीभूत होकर अपनी सामर्थ्य को संगठित कर लेता है, और वह उसका उपयोग स्वार्थ में नहीं, प्रत्युत कर्तव्य-पालन में लगाता है, तो यह सामर्थ्य-समष्टि मनुष्य की सामर्थ्य होने पर भी देवता की सामर्थ्य हो जाती है।
  6. परेश सक्सेना, १९९४ बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी, जो अपनी ईमानदारी और कर्तव्य-परायणता के लिए जाने जाते हैं, अपने कर्तव्य-पालन और अपराध से लोहा लेने पर फिल्म के नायक की तरह अपराधियों और उनसे सांठ-गाँठ रखने वाले पुलिस अधिकारियों और मीडिया के एक वर्ग के निशाने पर हैं.
  7. मीडिया संस्थानों और पत्रकारों को पीत पत्रकारिता एवं सत्ताभोगी नेताओं के प्रशस्ति गान के बजाय जनमानस के दुःख दर्द का निवारण, समाज एवं राष्ट्र के उन्नयन के लिए निःस्वार्थ भाव से कर्तव्य-पालन करना होगा, तभी वह लोकतंत्र में चौथे स्तंभ का अस्तित्व बनाये रखने में सफल हो सकेंगे।
  8. वे यह कसम खाकर कि बीते दिनों में जिसने उनके लिए ‘ बढ़िया ' का इंतजाम किया था, जिससे कि उनकी आज की शाम रंगीन हुई है, उसके लिए एक नया और निष्ठावान मतदाता पैदा करना, उनका पुरुषोचित धर्म है, अपने कर्तव्य-पालन में तल्लीन हो जाते.
  9. सार्वजनिक स्थानों का दुरपयोग व सार्वजनिक नियमों व साधारण नागरिक के कर्तव्य-पालन में प्रायः हीलाहवाली, कार्यालय में अथवा मीटिंग्स में कभी भी समय पर न पहुँचना, दी गयी जिम्मेदारी व कार्य को समय पर पूरा न करना, कर्तव्यपरायणयता का अभाव व भ्रष्टाचार में लिप्तता यदि हमारी अनुशासन हीनता नहीं तो और क्या है ।
  10. मैंने सोचा, कीर्ति के इन भग्नावशेषों, गौरव के इन स्मृति चिन्हों, राज्य-वैभव के इन साकार प्रतीकों, सम्मान और स्वाभिमान के खुले अध्यायों और कर्तव्य-पालन की इन प्रभावशाली कहानियों को क्या अब तक किसी राजपूत ने देखा ही नहीं है, सुना ही नहीं है, समझा ही नहीं है, इन पर चिंतन और मनन किया ही नहीं है?
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