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उबाऊपन sentence in Hindi

pronunciation: [ ubaupan ]
उबाऊपन meaning in English

Examples

  1. अगर दुनिया यह भी न करे तो अपने जीवन का उबाऊपन, कड़ुवाहटें, कटुताएं, धोखे के दर्द, स्वप्न साकार न कर पाने की पीड़ाएं, दुसरे के सुख से उपजे दुख, असफलताओं की चुभन यह सब लेकर किस दर पर दस्तक दें, कैसें भुलाएं वह इनको? कहां जाएं-क्या करें क्या आप उनको कुछ अच्छा और इससे आसान उपाय या युक्ति दे सकती हैं?
  2. ` नवीन ने उसकी सलाह मान ली! फिर थोड़ा रुक कर बोला, ‘ कुछ भी कहो यार, सफ़र लंबा है, काफ़ी उबाऊपन होगा! ' ' अरे, फ़र्स्ट क्लास के डिब्बे में जा रहे हो! कुछ उपन्यास, और वॉकमैन भी ले जा रहे हो, उबाऊपन क्यों होगा? ट और तुम्हारा सीट नंबर क्या है? संदीप ने पूछा।
  3. ` नवीन ने उसकी सलाह मान ली! फिर थोड़ा रुक कर बोला, ‘ कुछ भी कहो यार, सफ़र लंबा है, काफ़ी उबाऊपन होगा! ' ' अरे, फ़र्स्ट क्लास के डिब्बे में जा रहे हो! कुछ उपन्यास, और वॉकमैन भी ले जा रहे हो, उबाऊपन क्यों होगा? ट और तुम्हारा सीट नंबर क्या है? संदीप ने पूछा।
  4. हालाकि यह विचार भी अर्धसत्य ही है क्योंकि वास्तव में यदि कविता का संसार लघुतर हो रहा होता तो फिर रोज़ इतनी कवितायें क्यों लिखी जातीं? आखिर कौन लिख रहा इन्हें और पढ़ कौन रहा? इतना तो अवश्य है कि कविता में जो बोझिलता, उबाऊपन और नीरसता के जो अक़्स आये हैं उससे पाठकों में वह चाव नहीं रहा जो आज से दो-तीन दशक पहले हुआ करता था।
  5. इसके बहुत ही कम उदाहरण हैं जो यह बताते हैं कि शराब का सेवन सिज़ोफ्रेनिया का कारण बनता है, या यह कि मानसिक रूप से व्यक्ति किसी विशेष दवा का चयन अपने स्वयं के उपचार के लिए कर लेता है, इस संभावना का सहयोग करने वाले कुछ ही उदाहरण हैं कि दवा का प्रयोग प्रतिकूल मानसिक स्तर का कारण जैसे मानसिक तनाव, जिज्ञासा, परेशानी, उबाऊपन और अकेलेपन का कारण भी हो सकता है.
  6. उन्होंने इस फिल्म में दो काम ऎसे किए हैं जिनके लिए वे बधाई की पात्र हैं एक फिल्म में ऎसे नायक (विनय पाठक) को लेना जिन पर नायकत्व झलकता नहीं है और दूसरा दर्शकों को अपनी पहली निर्देशित फिल्म में उबाऊपन का अहसास करा चुके शशांक शाह पर भरोसा करना जिन्होंने इस बार दर्शकों को जहां हंसाने में कामयाबी पायी है वहीं कुछ देर के लिए दर्शकों के मन में संवेदना भी जगायी है।
  7. उन्होंने इस फिल्म में दो काम ऎसे किए हैं जिनके लिए वे बधाई की पात्र हैं एक फिल्म में ऎसे नायक (विनय पाठक) को लेना जिन पर नायकत्व झलकता नहीं है और दूसरा दर्शकों को अपनी पहली निर्देशित फिल्म में उबाऊपन का अहसास करा चुके शशांक शाह पर भरोसा करना जिन्होंने इस बार दर्शकों को जहां हंसाने में कामयाबी पायी है वहीं कुछ देर के लिए दर्शकों के मन में संवेदना भी जगायी है।
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