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आत्मन् sentence in Hindi

pronunciation: [ atman ]
आत्मन् meaning in English

Examples

  1. अगर हताश में आखिरकार हम और आप उनसे यह पूछें कि यदि जिस जीवन को हमजानते हैं वह अमर नहीं है, तो फिर और कौन-सी बात अमर है? तो वे हमेंबताएँगे कि अतीन्द्रिय आत्मन् अमर है.
  2. वह ज्ञान की प्रविधियों, मनस्, आत्मन्, बुद्धि आदि की सीमाओं पर विचार करता है, ताकि उनके आधार पर प्राप्त वस्तुगत बोध को परखा ; और जहां तक हो सके विस्तार किया जा सके.
  3. आत्मन् उसी जीवन जल में नहाता है-बार बार अवगाहन करता है फिर बाहर निकल कर इस प्रवाह को देखता है-किंचित अलग होकर-और जीवन की लय और गति का एक बोध पाता है।
  4. अब सारे हिन्दू दर्शन इन विभिन्न सुख-दुःख, प्रत्यक्ष, समृति, कल्पनाविचार, संकल्प, प्रत्यय, प्रेरणा अहंकार आदि की दुनिया को मनस्, बुद्धिया व्यावहारिक आत्मा (जीवात्मा) का नाम देते हैं तथा पारमार्थिकअतीन्द्रिय आत्मन् अथवा जीव को वे इन सबसे भिन्न मानते हैं.
  5. दूसरे प्रकार के लोग परमात्म तत्व की सत्ता को न केवल स्वीकार करते हैं वरन् स्वयं को परमात्मा का अंश आत्मन् के रुप में मानकर आत्मा के परमात्मा में मिलन के लिये चेष्टा करते है, जिसे साधना कहते हैं ।
  6. जब तुर्कों (आत्मन्) ने मुहम्मद साहब के जन्म स्थान को जीता तो बाकि सामानों के साथ-साथ वहां की किवाड़ें भी ऊखाड़ लाए (हज़ के समय मक्का के जिस कमरे का तीर्थ-यात्री चक्कर लगाते हैं, उसका दरवाज़ा) ।
  7. आयुर्वेद मानव शरीर को तीन दोषों, पांच तत्वों (पंच महाभूत), सात शरीर तंतु (सप्त धातु), पंच ज्ञानेन्द्रियों और पंचकर्मेन्द्रियों, मन (मनस्), ज्ञान (बृद्धि) तथा आत्मा (आत्मन्) का संयोजन मानता है।
  8. इसके लिए वह मनुष्य की बनाई हुई ठोस व्यवस्थाओं को दोषी ठहराता है, लेकिन एक जीवंत मनुष्य के रूप में तो वे भी अलग-अलग ‘ आत्मन् ' ही हैं, भले ही स्वार्थ-समर्पित अथवा भटके हुए क्यों न हों. ‘
  9. एक ओर तो विविध श्लेषोपमाओं से अलंकृत, फन्तासी-किन्तु ठोस, एक ऐसे दर्शन का वे पोषण करते हैं जो नाना दुरूह निषेधों व दमनोपचारों के माध्यम से आत्मन् की श्रेष्ठता स्थापित करता है, हिंसा से विरत व जीवात्मा के प्रति दयाशील रहना सिखाता है।
  10. किसी प्रिय आत्मन् को पूर्णतया समर्पित, प्रेम में वो भी अहेतुक प्रेम में पूर्ण निष्ठा और प्रेम को भक्ति के स्तर तक ले जाने वाली सात्विक अभीप्सा से युक्त ये कविताएँ हर प्रेमी-हृदय के कंठ का रत्नहार बनेंगी-ऐसा मेरा विश्वास डॉ. नागेश पांडेय ‘ संजय ' की कृति ‘ तुम्हारे लिए ' पढ़कर हुआ है।
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