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लिजलिजापन sentence in Hindi

pronunciation: [ lijalijapan ]
लिजलिजापन meaning in English

Examples

  1. मुग्धा ने अपने चेहरे से पसीना पोछते हुए सोचा, वो अभी भी पसीने से भीगी अपनी पीठ पर मिस्टर शुक्ला की निगाहें महसूस कर रही थी उस आदमी को देख कर हमेशा मुग्धा को लिजलिजापन महसूस होता है...जैसे भाव छिपकली को देख...
  2. हम फिर उसी उबाल के साथ खड़े हैं जो 16 दिसंबर के दिल्ली गैंग रेप केस में उठा था लेकिन फिर भी कहीं कुछ ठंडापन है, लिजलिजापन है, एक तरह का पलायनवाद, गैर जिम्मेदाराना रवैया हमारे भीतर पनप रहा है कि अब कुछ नहीं...
  3. इन बेबसों का चलन देख, मैं सचमुच ही नपुँसक हो गया था, कल्पना करें वह रातो दिन जब किसी पर एक लिजलिजापन छाया रहे, इन हालात में, इस कायनात की शरीयतें भी शरीर और मन से नपुँसक ठहरती हैं, मेरी तो बिसात ही क्या रही होगी? कई दिनों तक डिस्टर्ब्ड रहूँगा ।
  4. कभी-कभी सारा दृश्य बदल जाता है संसार मुर्दाघर सा लगता है लोगबाग बस दौड़ती हुई लाशें कभी-कभी लगता है यहां कुछ जिंदा नहीं है कुछ मुर्दाखोर हैं और, कुछ-चीर-फाड़ करने वाले कृत्रिम रुदन है घुटी हुई चीखें सड़े हुए मांस और, उनसे रिसता लिजलिजापन इस लिजलिजेपन में सहमी हुई-सी कुछ ​ जिंदगियां..
  5. इन बेबसों का चलन देख, मैं सचमुच ही नपुँसक हो गया था, कल्पना करें वह रातो दिन जब किसी पर एक लिजलिजापन छाया रहे, इन हालात में, इस कायनात की शरीयतें भी शरीर और मन से नपुँसक ठहरती हैं, मेरी तो बिसात ही क्या रही होगी? कई दिनों तक डिस्टर्ब्ड रहूँगा ।
  6. जी. बी., बेटियों / स्त्रियों के साथ चिपकाये जाने वाले विशेषणों / शब्दों का ख्याल तो है लेकिन मुझे नहीं लगता कि अपनी बिटिया के लिए मेरे मन में जो भी भावुकता है उसमें लेशमात्र भी लिजलिजापन होगा! आप जो कह रही हैं वह समाज में बहुतायत के लिए सत्य हो सकता है पर सभी के लिए नहीं!
  7. छिछिली नीयत वाले और ओछी सोच वाले ज्यादा है उनके चेहरे एक ख़ास तरह की मुस्कान से ढके है, ज्यादा मिठास से उनके वजूद में उभर आया लिजलिजापन, छिप नही पाता, वो शुभचिंतक, सह्रदयता, निछ्चलता के मुखौटे लिए हमारे आस पास अपने आप को बेच रहे है, मेरे गले पर जमा ज़हर अपनी तेज़ी से मेरी आँखों को साफ़ रखता है और उनके मुखौटे पिघला देता है
  8. भाई परवेज़ वर्षों तक नवभारत टाइम्स के संपादकीय विभाग से जुड़े रहे इसलिए उनके इन नाटकों में भाषा में कहीं शिथिलता या लिजलिजापन नहीं बल्कि भाषा ठोस और सटीक पात्रों के माध्यम से व्यक्त की गई है, यह उनका संपादकीय कौशल है जो नाटक के कथ्य को तार्किक और भाषा की दृष्टि से सटीक बना देता है जिसे केवल साहित्यिक रचनाकार द्वारा कर संभव नहीं हो पाता क्योंकि साहित्यिक रचनाकार मात्र भावनाओं के साथ ऐसा तादात्म्य स्थापित करता है जिसके दायरे से उसका बाहर निकलना मुमकिन नहीं हो पाता.
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