राष्ट्रीय धन sentence in Hindi
pronunciation: [ rastriya dhan ]
Examples
- हर कहीं किसी न किसी के राजनैतिक स्वार्थ टकरायेंगे ही तो फिर देश का सर्वांगीण विकास कैसे हो सकेगा? और इस तरह की पलट नीति से राष्ट्रीय धन का अपव्यय ही होता है.
- इस राष्ट्रीय धन को बढ़ाने के लिए हमने पंचवर्षीय योजना तैयार की है, जिसके आधार पर देश भर में काम हो रहा है, लेकिन लोगों में वह उत्साह नहीं, जिसकी मुझे आशा थी।
- उसका विकास करने के लिए बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय धन का व्यय किया गया जिसमें हिस्सा बंटाने वह लोग आये जिन्होंने भाषा का विकास करते रहने का और उसे इस्तेमाल न होने देने का बीड़ा उठाया.
- वैसे तुम्हारी तरह लोग क्रांति की बातें बहुत करते हैं, लेकिन रामू धोबी की विधवा को पेंशन देने के लिए राष्ट्र के पास इससे कहीं अधिक राष्ट्रीय धन होना चाहिए, जितना आजकल उसके पास है।
- अगर राष्ट्रीय धन को बढ़ाना है, अगर राष्ट्रीय योजनाओं को उत्तरोत्तर सफल बनाना है, अगर आप चाहते हैं कि देश की उन्नति दिन दूनी रात चौगुनी हो, तो इस राज्य-प्रणाली को बदलना होगा-ऊपर से नीचे तक।
- क्या ऐसे सवाल पर संसद बहस कर यह निर्णय नहीं ले सकती कि इस धन का राष्ट्रीयकरण हो? अमेरिका और जर्मनी की तरह हम भी इन 70 जगहों / संस्थाओं / देशों को बाध्य कर अपना धन वापस लायेंगें और यह राष्ट्रीय धन होगा.
- एक एटम बम फूटा यानी कम से कम बीस रूपए स्वाहा! देश के सभी शहरों में दीवाली में रात भर फूटने वाले ऐसे लाखों-करोड़ों एटम बमों का हिसाब लगाया जाए तो वह आंकड़ा हजारों करोड़ भी पार कर जाता होगा! क्या यह राष्ट्रीय धन की बर्बादी नहीं है?
- राष्ट्रीय धन भारत को पुनः मिल जाये इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिनये विचारणीय है कि क्या ऐसा क्षमादान इमानदार करदाताओं का अपमान नहीं?क्या ये नाइंसाफी नहीं कि जो इमानदारी से राष्ट्र निर्माण में योगदान देता है, उसेतो नियमित रिफंड के लिए भी दर-दर भटकना पड़ता है और बेईमानों के लिएसरकार ना केवल रियायतों के अम्बार लगाती है बल्कि नतमस्तक हो स्वागत भी करती है?
- नौकरशाही (प्रशासनिक कार्यपालिका) एवं मंत्रीगण (राजनीतिक कार्यपालिका) की असप * लता के कारण हजारों सिंचाई योजनाएं अधूरी रह गई हजारों प्राथमिक स्कूलों को या तो प्रारंभ ही नही कराया जा सका या यदि प्रारंभ भी हुऐ तो उनमें ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षकों की कमी के कारण पढाया ही नही गया, सैकडों सडके, बाँध, तालाब बजट प्राप्त होने के बावजूद अधूरे रह गये, और उनमें लगा लाखों करोडों रूपये का राष्ट्रीय धन व्यर्थ चला गया है और महंगाई के कारण योजनाएंंे और महंगी हो चली गई।