भेड़िये की तरह sentence in Hindi
pronunciation: [ bhediye ki tarah ]
Examples
- अभागा सब! इतना बोलके उन्होंने मैडम के हाथ से छड़ी ले लिया! और मैडम को इम्प्रेस करने के लिए रवि पर भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ा! बेचारा रवि जो अभी तक खुद को जन्नत में महसूस कर रहा था, अभी बेंच पे बेदम कराह रहा था!
- और किसी भी माँग पर झुकने को तैयार न हुआ तो इसके बाद मारुति मज़दूरों ने शान्तिपूर्ण तरीक़े से गिरफ़्तारी देने के लिए आगे बढ़ने का फ़ैसला किया जिस पर पुलिस ने पानी की बौछार (वाटर कैनन) और मज़दूरों के परिजनों जिनमें अधिकतर बुज़ुर्ग और महिलायें शामिल थीं, भूखे भेड़िये की तरह लाठियाँ भाँजी।
- वो होस्टल से दुर मुझे एक अछे से होटल मे ले गया! हम दोनो बेड पर लेत गये!वो धीरे धीरे मेरे करीब आकर मेरे बुब्स पर हाथ फेरने लगा और मेरे मुलायम गुलाबी होठो को चुसने लगा! मै भी उसके लंड को सहलाने लगी! वो कफी इक्साइतेद हो चुका था और मुझ पर भेड़िये की तरह टूट पड़ा!
- मुर्शिदकुलीख़ाँ हिन्दुओं का वेश धारण करके, माथे पर तिलक लगाकर मेले में भीड़ में मिल जाता था और जैसे ही कोई सुन्दर स्त्री दिखाई देती थी उसे वह ” भेड़ो के रेवड़ पर भेड़िये की तरह झपटकर ले भागता और उसे नाव में, जिसे उसके आदमी नदी के किनारे तैयार रखते थे, डालकर तेज़ी से आगरे की ओर चल पड़ता।
- श् दिग्विजय सिंह ने पार्टी और सरकार की लाइन से अलग हटते हुए जो राह पकड़ी है उससे सरकार और पार्टी को भले ही परेशानी पेश आ रही हो और विपक्ष भूखे भेड़िये की तरह उनके पीछे पड़ा रहा हो लेकिन दिग्विजय सिंह ने अपने राजनीतिक सरपरस्तों को पूरी तरह से विश्वास में ले रखा है कि इसका फायदा उन्हें चुनाव में वोटों के रूप में शर्ति्तया मिलेगा.
- नहा-धोकर अब पूरी तरह से तैयार हो होंने के बाद अब शुरू होता है इस बहुरुपिए धर्माचार्य के घिनौने मानसिकता का नंगा नाच, मुंह में पान का बीड़ा डालकर शिष्याएँ इन्हें झूले पर झूलते-झूलते यह ‘मानसिक रोगी संत' कभी अपने बायें तो कभी अपनें दायें पान की ‘पीक' थूक दिया करता है जिसको अपने इस कलियुगी श्रीकृष्ण का ‘प्रसाद' समझकर चाटने के लिए शिष्याएँ एक-दूसरे पर भूखे भेड़िये की तरह से टूट पड़ती है।
- नहा-धोकर अब पूरी तरह से तैयार हो होंने के बाद अब शुरू होता है इस बहुरुपिए धर्माचार्य के घिनौने मानसिकता का नंगा नाच, मुंह में पान का बीड़ा डालकर शिष्याएँ इन्हें झूले पर झूलते-झूलते यह ‘ मानसिक रोगी संत ' कभी अपने बायें तो कभी अपनें दायें पान की ‘ पीक ' थूक दिया करता है जिसको अपने इस कलियुगी श्रीकृष्ण का ‘ प्रसाद ' समझकर चाटने के लिए शिष्याएँ एक-दूसरे पर भूखे भेड़िये की तरह से टूट पड़ती है।