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बिचला sentence in Hindi

pronunciation: [ bicala ]
बिचला meaning in English

Examples

  1. जो आदि शक्ति व महादेव को / परमेश्वर को प्रणाम करना चाहते हैं तो वासुकि पर्वत माला (जूनिया गढ़ी, बिचला चौकोट अल्मोड़ा) में ईश्वर यानि माता-पिता को अपनी श्रद्धा ब्यक्त कर सकते हैं ।
  2. नगर के टाउन हाल बापू भवन, महावीर घाट, रामलीला मैदान, विजईपुर घाट, बिचला घाट, लाटघाट, राजपूत नेउरी, बेदुआ, गौशालारोड, मिश्र नेउरी, आनंद नगर, संकट मोचन कालोनी, हरपुर जटहा बाबा मंदिर, भृगु आश्रम, बहादुरपुर, गोठहुली, काशीपुर, मिड्ढा सहित अन्य घाटों पर खूब सजावट रही।
  3. मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद संख्या 101 / 2004 1ः श्रीमती लक्ष्मी देवी पत्नी स्व0 श्री रणजीत सिंह, निवासी ग्राम पडाल गांव पो0 बडियार गांव पट्टी बिचला बदलपुर जिला पौडी गढवाल, उत्तरांचल 2ः मा0 सूरज सिंह (अवयस्क) आयु 6 वर्ष द्वारा माता एवं प्राकृतिक संरक्षिका श्रीमती लक्ष्मी देवी निवासी उपरोक्त।
  4. देवोगी, स्यालकंडी, गढ़कोटा, आम काटम, रामणी, टेकर, भवासा, चूना मछेड़ा, गुंडी तल्ली, सिमलाना बिचला, धूरा भरपूर, सिमला, जोग्याड़ा, क्स्याणा, क्वीराल गांव, भूकंडी आदि गाँवों में कभी भी बरसात से तबाही आ सकती है।
  5. बड़ी पन्याली, भनार, रमाड़ी, नामती चेटाबगड़, कनोली, खेती, माजखेत, लाथी, चुचेर, शामा, लीती-गोगीना, हमटी कापड़ी, रातिरकेठी, मल्खा ढूंगचा, कीमू आदि बिचला दानपुर की 18 ग्राम सभाएँ बिजली, पानी, सड़क, दूरसंचार आदि सुविधाओं से वंचित हैं।
  6. और इस दरवाजे से राम के निवास की तरफ मिलते कमरे का नाम है-“ बिचला कोठारी ”-(कोठरी नहीं! कोठारी! “ ठ ” पर-आ-की मात्रा!)! और यही सबके लिए हॉल से लेकर मैदान है और सभी त्योहारों का प्रमुख स्थान और मेहमान के रहने का कमरा! इस ख़ुशी में कोई भी पर्व हो त्यौहार हो उत्सव हो ख़ुशीयों के गुणनफल का हिसाब लगाना मुश्किल है!
  7. राजपूतों के लिए ‘ अठघरवा ', बिचला पट्टी, ‘ अलोरा ', ‘ बाबा टोला ' जैसे नाम हैं जबकि पि छ ड़ी जातियों के नाम सीधे-सीधे उनकी जाति पर आधारित है जिसका नाम वहां के स्थानीय लोग बड़े ही हिकारत से लेते हैं, जैसे ' चमरटोली ', ' मुसहरी ', '' इत्यादि । उनकी तरह उ न के नाम और उनका टोला भी अछूत करार दे दिया गया है और गांव के तथाकथित सभ्य लोग उधर कभी नहीं जाते।
  8. … इसके साक्षी हैं सविता दीदी के दुहला बाबु, ' तिवारी जी ' के दुलरुवा दामाद और मेरे दिलीप कुमार जैसे दिखने वाले हँसमुख हँसोड़ जीजाजी श्रीमान विद्याविनोद पाठक! उस समय गुजुआ की माँ घर की दाई थी! शाम का वक़्त था! ढिबरी की रौशनी में मैं, मुरारी मामा और शशि के साथ बिचला कोठारी में शाम की पढाई का ढोंग ' पढ ' रहा था! मुझे बार-बार मेरा वह बैग याद आ रहा था जिसमें मेरे संभावित कलकाता यात्रा का सामान भरा पड़ा था।
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