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पूँजीवादी अर्थव्यवस्था sentence in Hindi

pronunciation: [ pumjivadi arthavyavastha ]
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था meaning in English

Examples

  1. पहले, सभी अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन हमेशा किसी न किसी जरूरत को पूरा करने के लिए होता था, परंतु अब पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन और विपणन का एकमात्र उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ और पूँजी पैदा करना हो गया है।
  2. स्पष्ट है कि आज विश्व पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में आने वाले किसी भी हिचकोले से भारतीय बाज़ार और उद्योग का कोई भी हिस्सा अनछुआ नहीं रह सकता, आई. टी. सेक्टर की तो बात ही क्या है ।
  3. सतत विकास पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का स्वाभाविक लक्षण नहीं है और पिछले 2 सौ वर्षों से यदि यह व्यवस्था मंदी की मार से बचती चली आ रही है तो इसके पीछे अलग-अलग दौर में सक्रिय बाहरी कारकों की ही भूमिका रही है।
  4. यह प्रक्रिया पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में एक सन्तुलनकारी प्रक्रिया होती है जिसे काग़ज़ पर देखा जाये तो बहुत सामान्य लगती है, लेकिन वास्तव में घटित होते हुए देखा जाये तो समझ में आता है कि यह कितनी तबाही लाने वाली प्रक्रिया होती है।
  5. किसी ने भी यह नहीं कहा कि मेहनत-मज़दूरी करने वाली देश की व्यापक जनता की बर्बादी का कारण पूँजीवादी आर्थिक व्यवस्था है, कि लोग बेरोज़गार किसी और कारण से नहीं बल्कि इसलिए हैं कि वर्तमान पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के सभी साधन पूँजीपति वर्ग के नियंत्रण में हैं, और मेहनतकश चाहकर भी काम नहीं कर सकते।
  6. ऊपरी तौर पर यह राजनीति के भ्रष्टीकरण को दुरुस्त करने की मंशा से उठाया गया कदम दिखता है लेकिन इसके असरकारी होने की कितनी सम्भावना हो सकती है या जनता के इस अधिकार से कितना बदलाव मुमकिन हो सकता है यह जानने के लिए पूँजीवादी राजनीति को समझना होगा जो पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की ही एक घनीभूत अभिव्यक्ति होती है।
  7. लेबर पार्टी के गठबंधन में सेंटर पार्टी भी है जो नार्वे के देहातों में रहने वाले किसानों और मछली पालन करने वालों की लोकप्रिय पार्टी के रूप में जानी जाती है, उस पार्टी ने भी नार्वेजी जीवन मूल्यों की रक्षा की बात की है जबकि विपक्षी पार्टियाँ, होयरे यानी कंज़रवेटिव और एफ आर पी पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को मदद करने के लिये मानवता के आदर्शों की परवाह नहीं कर रहे हैं।
  8. अगर सरकार ‘ पब्लिक सेक्टर ' के नाम पर एक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में हस्तक्षेप करेगी तो इसी के साथ उसे कोटा, लाइसेंस, परमिट प्रणाली आदि भी अपनानी पड़ेगी जिससे निजी पूँजी निवेश के रास्ते में अड़चन पैदा होगी और उसका तेज़ी से विकास अवरुद्ध होगा जिसके कारण आर्थिक विकास दर कम ही रहेगी और इस वजह से ही 1990 के पहले के दशकों में भारत की विकास दर मात्र 4 प्रतिशत के आसपास रहती थी।
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