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परवाह न करना sentence in Hindi

pronunciation: [ paravah na karana ]
परवाह न करना meaning in English

Examples

  1. किरण बेदी को दिल्ली के कमिश्नर पद के न मिलने का मुख्य कारण है उनकी व्यक्तिगत छबि-साफगोई, काम में राजनीतिक दबाब की परवाह न करना और अपराधियों के प्रति एक मानवीय एहसा स.
  2. यह बात भी है मैं अपने लिखने से नहीं जीता, यह तो समय बिताने का तरीका और अपनी सृजनात्मक इच्छाओं को व्यक्त करने का साधन है, इसलिए कोपीराईट को भूल जाना, उसकी परवाह न करना, इससे मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता.
  3. इस बिना पर इतिहास की परवाह न करना कि लिखा हुआ इतिहास लैंपपोस्ट के नीचे चलते हुए आदमी की परछाईं भर है, बदलते गांवों के साथ अपने नाम बदलना और पुलिस के पकड़े जाने तक बगैर नाम के जीना, या मर जाना, कई-कई नामों के साथ।
  4. इस बिना पर इतिहास की परवाह न करना कि लिखा हुआ इतिहास लैंप पोस्ट के नीचे चलते हुए आदमी की परछाईं भर है, बदलते गाँवों के साथ अपने नाम बदलना और पुलिस के पकड़े जाने तक बगैर नाम के जीना, या मर जाना, कई-कई नामों के सा थ.
  5. क्लायण्ट और उसके केस के गलत या सही होने की परवाह न करना, तर्क शक्ति का अश्लील या बुलिश प्रयोग, न्यायधीश को अवैध तरीके से प्रभावित करने का यत्न, फर्जी डाक्यूमेण्ट या गवाह से केस में जान डालना, अपने क्लायण्ट को मौके पर चुप रह जाने की कुटिल (या यह कानून सम्मत है?)
  6. क्लायण्ट और उसके केस के गलत या सही होने की परवाह न करना, तर्क शक्ति का अश्लील या बुलिश प्रयोग, न्यायधीश को अवैध तरीके से प्रभावित करने का यत्न, फर्जी डाक्यूमेण्ट या गवाह से केस में जान डालना, अपने क्लायण्ट को मौके पर चुप रह जाने की कुटिल (या यह कानून सम्मत है?)
  7. ज़बान दे कर किसी को प्रतीक्षा में सुखाना, दूसरे के समय और श्रम की कोई परवाह न करना, अन्य का काम पूरा न कर सकने के भिन्न-भिन्न बनावटी और झूठे कारण देना, तथा परिणामस्वरूप दूसरों की नज़रों मे अपनी ज़बान की कीमत दो कौड़ी की कर डालना आखि़र क्यों होता है?
  8. ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लोगों की खून पसीने की कमाई पर तरह तरह के हथकंडांे से डाका डालना, लाभ के लिए अपने परिजन, प्रियजन से लेकर आम लोगों तक किसी की भी जान सेहत तक की परवाह न करना जैसी आदमखोर प्रवृत्तियांे का प्रसार इसकी देन है यह सोच अध्यात्म की भावना के खिलाफ है।
  9. यहाँ हम ' नानी के आगे ननिऔरे (ननिहाल) का हाल भी सुना सकते हैं ' | क्योंकि, हे पार्थ! ऐसा नहीं है कि ब्लोगर जन इस विषय पर तुमसे पहले नहीं लिखे हैं या तुम्हारे बाद नहीं लिखेंगे | फ़िर भी इन सब बातों की परवाह न करते हुए तुम लिखते रहो | फल की परवाह न करना वैसे भी हम भारतवासियों की मूल भावना है | इसी भावना के चलते भारत देश कुछ वर्षों में चीन को पछाड़ने वाला है |
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