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ईर्ष्या करना sentence in Hindi

pronunciation: [ irsya karana ]
ईर्ष्या करना meaning in English

Examples

  1. एंड इफ सेल्फ इज गूड, कोंट्री उविल आलवेज बी गूड..“ सचिन तेंदुलकर: ” कोई जब तक ईर्ष्या करना एन्जॉय कर सकता है, उसे करते रहना चाहिए...“ नारायण दत्त तिवारी: ” ईर्ष्या ही तो मुख्य कारण बनी मुझे राजभवन से निकालने का.
  2. एंड इफ सेल्फ इज गूड, कोंट्री उविल आलवेज बी गूड..“ सचिन तेंदुलकर: ” कोई जब तक ईर्ष्या करना एन्जॉय कर सकता है, उसे करते रहना चाहिए...“ नारायण दत्त तिवारी: ” ईर्ष्या ही तो मुख्य कारण बनी मुझे राजभवन से निकालने का.
  3. फ़ारसी की एक कहावत है कि दाख़िलेमून ख़ुदेमून रा कुश्त व बीरूनेमून मर्दुम रा, जिसका तात्पर्य है, विदित रूप से किसी रोचक वस्तु को देख कर उससे ईर्ष्या करना किंतु उसे प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों की अनदेखी कर देना।
  4. ईर्ष्याग्रस्त मनुष्य महत्वहीन होता है, अतएव ईर्ष्या करना अपना महत्व घटाता है, हजारों गायों के बीच बछ्दा केवल अपने माँ के पास जाता है, इसी प्रकार मनुष्य का कर्म भी उसी में पाया जाता है, जो उसका कर्ता होता है।
  5. हम आप भला वह तो चखेंगे भी नहीं, जो कौव्वा महराज जीमते हैं, फिर क्या खाकर उनके गुणों से ईर्ष्या करना चाहते हैं? सुबह सुबह कौव्वे की काँव-काँव अपने मुँडेर पर हुई नहीं कि दिल मचल उठता है, रोमांच हो आता है, ज़रूर आज कोई चिट्ठी या समाचार आयेगा ।
  6. हम आप भला वह तो चखेंगे भी नहीं, जो कौव्वा महराज जीमते हैं, फिर क्या खाकर उनके गुणों से ईर्ष्या करना चाहते हैं? सुबह सुबह कौव्वे की काँव-काँव अपने मुँडेर पर हुई नहीं कि दिल मचल उठता है, रोमांच हो आता है, ज़रूर आज कोई चिट्ठी या समाचार आयेगा ।
  7. हम आप भला वह तो चखेंगे भी नहीं, जो कौव्वा महराज जीमते हैं, फिर क्या खाकर उनके गुणों से ईर्ष्या करना चाहते हैं? सुबह सुबह कौव्वे की काँव-काँव अपने मुँडेर पर हुई नहीं कि दिल मचल उठता है, रोमांच हो आता है, ज़रूर आज कोई चिट्ठी या समाचार आयेगा ।
  8. यदि हम तलवार लेकर दूसरे पर सीधे प्रहार करें वह इतना हानिकारक नहीं है जितना ईर्ष्या करना, क्योंकि ईर्ष्या में भय की जो ग्रन्थि पैदा हो जाती है वह ऊर्जा का सबसे बड़ा शुत्र है यह भय ही कुण्डलिनी की ऊर्जा को पी-पीकर और पुष्ट होता चला जाता है तथा व्यक्ति को हर समय किसी न किसी बात का भय, सन्देह बना रहता है।
  9. इसके दो कारण समझ में आते हैं! पहला यह कि कुछ लोग किसी भी व्यक्ति या परिवार की खोज में लगे रहना उसके अच्छे कामों और सफलताओं से जलना और ईर्ष्या करना और उसकी बुराईयों या कमियों का पता लगते ही उन्हें लोगों के बीच फैलाना, उसका मज़ाक उड़ाना, उसे बदनाम करना, उसके पीठ पीछे बातें बनाना, अपनी आदत बना लेते हैं।
  10. ईर्ष्या करना इनसान का प्राकृतिक गुण है | अगर हर कोई ईर्ष्या करे और उसे देख कर आगे बढ़ने की क़ोसिस करे तो वह इनसान ही नही बल्कि हमरा समाज, राज्य & देश भी आगे होगा | सही पूछे तो अगर हर कोई अपने बारे मे ही सिर्फ़ सोचे तो कोई आतंकवादी या नक्सलवादी नही होगा | मुझे लगता है की सभी को ईर्ष्या करनी चाहिए |
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