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असम्मानित sentence in Hindi

pronunciation: [ asamanit ]
असम्मानित meaning in English

Examples

  1. इसी प्रकार कितने ही उदाहरण हैं जब हिन्दू धर्मगुरुओं का उपहास किया गया, उनके ऊपर आरोप लगाये गये, उन्हें असम्मानित ढंग से सम्बोधित किया गया पर ऐसा साहस न तो कभी इस्लाम के सम्बन्ध में किया गया और न ही ईसाई धर्म के सम्बन्ध में।
  2. इसी प्रकार कितने ही उदाहरण हैं जब हिन्दू धर्मगुरुओं का उपहास किया गया, उनके ऊपर आरोप लगाये गये, उन्हें असम्मानित ढंग से सम्बोधित किया गया पर ऐसा साहस न तो कभी इस्लाम के सम्बन्ध में किया गया और न ही ईसाई धर्म के सम्बन्ध में।
  3. [50] इसके अलावा, एक फ़िल्म में केवल एक शॉट के लिए सबसे ज्यादा टेक लेने का उसने एक असम्मानित कीर्तिमान भी स्थापित किया है जिसके अंतर्गत एक जटिल दृश्य के लिए उसने 2900 से भी अधिक रीटेक लिए जिसमें ड्रैगन लॉर्ड का एक बैडमिंटन गेम भी शामिल है.
  4. खुद कुर्सी पर बैठना तथा अन्य को नीचे बिठाना, जन-प्रतिनिधियों को बेइज्जत करना, कार्यकर्ताओं का जजबाती व आर्थिक शोषण करना तथा बिना किसी ठोस सूबूत तथा जवाब का मौका दिए बगैर ही तानाशाही पूर्ण रवैये से कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकाल देना तथा असम्मानित करना ।
  5. यह जान कर सु: खद संतोष होता है कि नागयुग में शूद्र असम्मानित नहीं थे अपितु नाग नरेशों व महारानियों के दान अभिलेखों में मोची से ले कर ब्राम्हण तक के नाम उल्लेखित हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि समाज में वर्ग स्थापित होने के बाद भी विभेद व्यापक नहीं तथा तथा यह अंतर्सम्बंधो वाला समाज था।
  6. ऐसे ही फतवे हिंदू देवियों को असम्मानित करने वाली रेखांकृतियां बनाने वाले काफिर मकबूल फिदा हुसैन के खिलाफ क्यों नहीं जारी हुए? धार्मिक भावनाओं के असम्मान से नाराज होने वाले इस्लाम के धर्मगुरु हिंदू देवी-देवताओं के असम्मान से नाराज क्यों नहीं होते और फतवा क्यों नहीं जारी करते? डेनमार्क की पत्रिका में छपे कार्टून पर भारत में उग्रता फैलाने में लगे रहे मौलानाओं का मकबूल फिदा हुसैन के नापाक कृत्यों की ओर कभी ध्यान नहीं गया।
  7. सुनील मित्तल भारती ने तब तपाक से उत्तर दिया “ कि हम यहाँ व्यापार के माध्यम से मुनाफा कमाने आये हैं जन सरोकारों या जनता कि परेशानियों से हमें कोई लेना-देना नहीं ” सुनील मित्तल भारती के इस कटु वक्तव्य से तब मुझे बहुत बुरा लगा था तत्काल एक आलेख भी उनके अमर्यादित व्यवसायिक सरोकारों पर मैनें लिखा था-जिसका तात्पर्य यह था कि भारतीय लोकतंत्र पर पूंजीपतियों का कब्जा कराने में सिद्धहस्त श्री मनमोहन सिंग जी को एक नव-धनाड्य पूंजीपति के आगे इस तरह असम्मानित होना स्वीकार नहीं करना चाहिए.
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