स्त्री पुरुष समानता sentence in Hindi
pronunciation: [ stri purus samanata ]
Examples
- लगता है हमारी संस्कृति में स्त्री पुरुष समानता का पूरा ध्यान रखा है, क्या ब्रोड माइंडेड लोग थे.... सच्ची.... रही बात पूर्ण होने की पूर्ण तो कोई भी नहीं होता (कोई (स्त्री / पुरुष) अपने आप को पूर्ण समझने लगे तो ये तो भ्रम ही है)..
- आज मानव अधिकारों, स्त्री पुरुष समानता बनाने की कोशिशें, जात पात के बँधनों से बाहर निकलने की कोशिशें, यह सब इस लिए भी कठिन हैं क्योंकि बचपन से घुट्टी में मिले सँदेश हमारे भीतर तक छुपे रहते हैं और भीतर से हमें क्या सही है, क्या गलत है यह कहते रहते हैं.
- सशक्तिकरण को सक्षम बनाने की एक प्रक्रिया के रूप में भी देखा जाता है, इसके तहत समाज में स्त्री पुरुष समानता व् विकास में महिलाओं की बराबर की भागीदारी की दिशा में परिवर्तन की प्रक्रिया और तंत्र को लागू किया जाना और परिवारों / समाजों के भीतर व् परस्पर सत्ता का पुनर बटवारा शामिल है.
- पर मैं फिर अपने मुख्य तर्क पर लौटता हूँ-ज्ञानोदय में बसा समानता का मूल तत्त्व सर्वाधिक ग्राह्य था और है पर हमारे यहाँ आधुनिकता के वाहक रहे औपनिवेशिक प्रभुओं ने परम्परा के वर्चस्ववादी पक्ष के साथ गठजोड़ ही किया और स्त्री पुरुष समानता का प्रश्न औपनिवेशिक काल के राष्ट्रवादी अभियान की चिंता का मुख्य बिंदु भी नहीं बना।
- अच्छा ये टिप्पणी भी है! कंडीशनिंग के बारे में आपका कहना बिल्कुल सही हैं रचना जी.और इससे मुक्त होना भी बहुत मुश्किल हैं लेकिन आपने पोस्ट में देख हो तो मैंने आम महिलाओंके बजाए उन महिलाओं की सोच पर ज्यादा जोर दिया है जो स्त्री पुरुष समानता की अवधारणा में यकीन करती हैं.यदि वो भी ऐसा सोचती हैं तब ये चिंता की बात हैं.
- इनके बयान चाहे अलग. अलग हों, पर सार रूप में ये सभी स्त्री पुरुष समानता के विचार के घोर विरोधी और समाज में स्त्री के दोयम दर्जे को बनाए रखने की सामन्ती मानसिकता से ग्रस्त हैं, जो महिला की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अतिक्रमण पर संवेदनशील होने की जगह अपराध के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराने की कवायद करने लगती है।
- डॉ. असग़र अली इंजिनियर ने कहा की धर्म में स्त्री पुरुष समानता का उल्लेख मिलता है, लेकिन धर्म की गलत व्याख्या करके स्त्री को दोयम दर्जे का सिद्ध करने की कोशिश की जा रही है यह उस पुरुषवादी सोच का परिणाम है जो स्त्री के साथ अधिकार सजा करने से डरते है, हमें इन चालक कोशिशों को असफल करना होगा ।
- समुदाय प्रबंधन के समर्थन से अधिकार और वित्त विकेंद्रीकरण करने के लिए उचित आवश्यकताओं पर सलाह देना और विश्लेषण करना ; भूमि, भूमि कार्यकाल, भूमि पद्धतियों से संबंधित कानून मे सुधार मे मदद करना जिससे सामुदायिक प्रबन्धन मे तेजी आयेगी और स्त्री पुरुष समानता और अल्पसंख्यकों के मानव अधिकारों को सुनिश्चित होते है और भूमि से संबंधित कानून को लागू करने में आसानी होती है।
- गेरबरबरी वाली वर्णव्यस्था और जातिवाद खिलाफत, अपमानित, अमानवीय, अवैज्ञानिक, अन्याय एवं असमान सामाजिक व्यवस्था से दुखी मानव कि इसी जन्म में आंदोलन से मुक्ती कर, समता-स्वतंत्र-बंधुत्व एवं न्याय के आदर्श समाज में मानव और मानव (स्त्री पुरुष समानता भी) के बीच सही समंध स्थापित करनेवाली क्रांतिकारी मानवतावादी विचारधारा को बुद्ध धम्म और आंबेडकर वाद कहते है |
- स्त्री की इज्जत की बात, उसके गर्भ में पलने वाले बच्चे से जुड़ी होती है और यह कैसे कोई समाज मान ले कि उनकी औरतें विधर्मी, बलात्कारियों के बच्चे पालें?आज मानव अधिकारों, स्त्री पुरुष समानता बनाने की कोशिशें, जात पात के बँधनों से बाहर निकलने की कोशिशें, यह सब इस लिए भी कठिन हैं क्योंकि बचपन से घुट्टी में मिले सँदेश हमारे भीतर तक छुपे रहते हैं और भीतर से हमें क्या सही है, क्या गलत है यह कहते रहते हैं.