मन्द स्वर sentence in Hindi
pronunciation: [ manda svar ]
Examples
- नारायण भाई ने रुंधे कण्ठ से, अपनी पूरी शक्ति लगा कर, धीर-गम्भीर किन्तु मन्द स्वर में कहा-‘ यह बा की आजीवन इच्छा थी जिसे ईश्वर ने पूरा किया-वे बापू की छाती पर सिर रख कर ही विदा हुईं ।
- दूसरा वसन्त, जैसे अनुभवीं की दोहर ओढ़े भारी पैरों से चलनेवाला, भारी गले से बोलनेवाला अग्रज ; उसका धीमा गुरु-स्वर मानो इसराज का एक मन्द स्वर है, और प्रत्येक शब्द को तोल-तोलकर, श्रोता की आत्मा में उसे बैठा देता हुआ-सा बोलता है।
- यह सब देखकर लगता है कि यज्ञ के साथ, और मन्द स्वर में सुनाई दे रही आध्यात्म वाणी के साथ, तपस्या और भक्ति को अलग-अलग धाराएं मान सकते हैं, पर दोनों को एक हो जाने में कोई लम्बा रास्ता नहीं तय करना पड़ता।
- आंखे मिचमिचाते हुये उन्होंने कहा-” कौन...सुकान्त हो क्या `` झुककर पैर छूते हुये मन्द स्वर में मैंने कहा-” जी! वही हूं,ठीक पहचाना।'' `` अरे बेटा! तू यहां कैसे आ गया '' आवाज में विस्मय के साथ विरक्तता, जैसे अपनी पहचान छुपाते-छुपाते कोई किसी को पहचान ले ।
- हाय, बेहुला ने भी देखा था एक दिन गंगा में नाव से नदी किनारे कृष्ण द्वादशी की चांदनी में सुनहले धान के पास हज़ारों पीपील, बरगद वट में मन्द स्वर में खंजनी की तरह इन्द्रसभा में श्यामा के कोमल गीत सुने थे, बंगाल के नदी कगार ने खेत मैदान पर घुंघरू की तरह रोये थे उसके पांव ।
- लेकिन उसके आरम्भ में ही जब एक भरे हुए मन्द स्वर के बाद एकाएक तीखी पुकार-सी होती, तब शेखर को लगता, उसके इस अकस्मात् बलिष्ठ तीखेपन ने मानो शेखर के बाहर कोई झिल्ली-सी चीर दी है, और वह रेशम के कीड़े की तरह, या तितली की तरह, किसी परकीय बन्धन के बाहर निकल आया है...
- दूसरी बात, मैं आपसे कहता हूँ क्या गद्य में रिदम नहीं होता? क्या बोलते हुए,सामान्य बोलचाल की भाषा में, जैसा हम बोलते हैं उसमें यति और गति नहीं होती क्या? हम कभी मन्द स्वर में,कभी मध्य में कभी तार सप्तक में नहीं बोलते क्या? हमारे बोलने में ये उतार-चढ़ाव नहीं आया करते क्या,हममें से हर एक आदमी अपनी-अपनी तरह से नहीं बोलता?
- दूसरी बात, मैं आपसे कहता हूँ क्या गद्य में रिदम नहीं होता? क्या बोलते हुए, सामान्य बोलचाल की भाषा में, जैसा हम बोलते हैं उसमें यति और गति नहीं होती क्या? हम कभी मन्द स्वर में, कभी मध्य में कभी तार सप्तक में नहीं बोलते क्या? हमारे बोलने में ये उतार-चढ़ाव नहीं आया करते क्या, हममें से हर एक आदमी अपनी-अपनी तरह से नहीं बोलता? भाषा के साथ तो है ही यह बात ।