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फुकनी sentence in Hindi

pronunciation: [ phukani ]
फुकनी meaning in English

Examples

  1. गीता ने हम तीनों के हाथ में एक-एक डंडी पकड़ा दी और बर्तन में पड़े द्रव्य को हिलाने को कहा और वह स्वयं फुकनी लेकर चूल्हे को फूँकने लगी।
  2. की जब फूटते थे फुकने, मेरी या दोस्तों की वर्षगांठों में तो खुश होकर लगते थे हम उन्हें मुँह में अन्दर खींचके छोटी-छोटी फुकनी / टिप्पियाँ बनाने में....
  3. इसके बाद शाम को संगीता, राजेश, नरेश, राकेश, रामजीलाल, बंटी ने उसके भतीजे सुंदरलाल और भतीजे सतबीर पर लाठी, बैट, कस्सी व लोहे की फुकनी से हमला बोल दिया।
  4. सागर का दूसरा छोर गहराने लगता है, मानों फुकनी से कोई साँझ का चूल्हा सुलगा रहा है.होंठ बुदबुदाते हैं-“ये गंध भरी शाम कहीं तुम तो नहीं हो,संध्या शकुंतलाम कहीं तुम तो नहीं हो”...
  5. विभिन्न रूपों में प्रचलित यह दोहा संत कबीर का है जिसमें लुहारों द्वारा प्रयुक्त होने वाली चमडे की धौकनी / फुकनी / bellows के लिये कहा है जिसकी सहायता से लोहे के गलनांक तक ताप बढाया जाता है।
  6. बेसन की सौधी रोटी पर खट्टी चटनी-जैसी माँ याद आती है चौका-बासन चिमटा, फुकनी-जैसी माँ || बान की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे आधी सोयी आधी जागी थकी दोपहरी-जैसी माँ ||
  7. और वैसे भी जूता औरतों के चलाने की चीज़ थोड़े ही होती है, मैडम को अगर चलाना ही था, तो बेलन चलातीं, झाड़ू चलाती, चिमटा या फुकनी चलाने का विचार भी बुरा नहीं था, अरे मारने के सैकड़ों अन्य तरीके / जुगाड़ / नुस्खे है ……
  8. बहुत सुंदर लिखा आपने! घर से पहली बार निकलने पर एक बेटा क्या सोचता है अपनी ममतामयी माँ के बारे में इस पर बशीर बद्र साहब कि ये चंद पंक्तियाँ याद आती हैं बेसन कि सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ याद आता है चौका बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ
  9. शहरोज का अपना कविता संसार है, बेजान शब्दों में जान फुकनी हो तो शहरोज को उधार दे दीजिये, सीधे साधे शब्दों से बाढ़ की स्थिति पैदा कर देना इनकी फितरत है, इस कविता को पढ़कर ऐसा ही लगा | सही ही कहा है किसी ने ' दुनिया न जीत पाओ तो हारो न खुद को तुम थोडी बहुत तो जेहेन मे नाराजगी रहे ' | ये नाराजगी कायम रखना मेरे मित्र बस इसी की जरुरत है |
  10. बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी मां याद आती है चौका बासन, चिमटा फुकनी जैसी मां चिड़ियों की चहकार में गूंजे राधामोहन अली अली मुर्ग़े की आवाज़ से खुलती घर की कुंडी जैसी मां बान की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे आधी सोई आधी जागी भरी दोपहरी जैसी मां बीवी, बेटी, बहिन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सबमें दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी मां बांट के अपना चेहरा, माथा, आँखें जाने कहाँ गयी फटे पुराने इक एलबम में चंचल लड़की जैसी मां
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