पुलकन sentence in Hindi
pronunciation: [ pulakan ]
Examples
- और साँझ को जब तारों की तरल कँपकँपी स्पर्शहीन झरती है-मानो नभ में तरल नयन ठिठकी नि: संख्य सवत्सा युवती माताओं के आशिर्वाद-उस सन्धि-निमिष की पुलकन लीयमान।
- प्यार के इजहार के लिए प्रेमी-प्रेमिका की एक मीठी मुसकान, हाथों का पुलकित कर देने वाला स्पर्श ही काफी है जो मन के अंतर के तारों को झंकृत कर देता है और पोर-पोर में पुलकन भर देता है।
- प्यार के इजहार के लिए प्रेमी-प्रेमिका की एक मीठी मुसकान, हाथों का पुलकित कर देने वाला स्पर्श ही काफी है जो मन के अंतर के तारों को झंकृत कर देता है और पोर-पोर में पुलकन भर देता है।
- सभी लोग हाथ जोड़कर भावना करें कि जैसे माँ अपनी गोद में बालक को अपने स्नेह-पुलकन के साथ जाने-अनजाने में श्रेष्ठ प्रवृत्ति और गहरा सन्तोष देती रहती है, वैसे ही माता वसुन्धरा इस बालक को अपना लाल मानकर गोद में लेकर धन्य बना रही है ।।
- एक अजब सी उलझन मन में जाने क्यों है पुलकन तन में पता नहीं तुम कहाँ समाए तुम्हें खोजते व्याकुल साए तुम्हें देखकर आ जाता हूँ सहसा ही मैं अपनेपन में चंदा जैसा रूप तुम्हारा मन में हिलता जैसे पारा जब तक तुम प्राणों में रहते तब तक रहती धड़कन तन में
- फिर अचानक एक किरण दिखती है कमरे के किसी कोने से और एक पुलकन सी आ जाती है मन में | मैं चढ़ने की कोशिश करती हूँ उस किरण को पकड़ कर धीरे-धीरे | पर इतना आसान नहीं चढ़ पाना इतनी ऊँचाई तक इस एक उम्र के जकड़न के बाद |
- शिल्पा को मेरे भाई ने पूरा मजा दिया था … खूब जोर जोर के धक्के मारे थे … मैंने बताया और लिंग प्रहार से उत्त्पन्न आनन्दित कर देने वाली पीड़ा से मेरे शरीर के रोयें रोयें में पुलकन थी, कंठ खुश्क हो गया था, मेरी जीभ बार बार मेरे होठों पर फिर रही थी।
- मानाकि कि लोकगीतों में चुहबाजियां पुरानी बात है, जिन लोगों को गांव-गिराम की बारातों में जाने का मौका मिला होगा, उन्हें बारात की जीमने के वक्त या दूसरे नेगचार में गारी सुन कर जरूर वैसी ही सिहरन या पुलकन हुई होगी जैसी पैदा करने के लिए आज के बोलियों या भाषाओं के गीत नारी को बेपरदा और बेआबरू करने लगे हैं।
- माना कि लोकगीतों में चुहबाजियां पुरानी बात है, जिन लोगों को गांव-गिराव की बारातों में जाने का मौका मिला होगा, उन्हें बारात की जीमने के वक्त या दूसरे नेगचार में गाली सुन कर जरूर वैसी ही सिहरन या पुलकन हुई होगी, जैसी पैदा करने के लिए आज के बोलियों या भाषाओं के गीत नारी को बेपरदा और बेआबरू करने लगे हैं।
- मुझे छूती हो तो पुलकन होती है न? मुझे बांहों में समेटती हो तो ऐसा नहीं लगता मानो पूरा आसमान मुट्ठी में आ गया हो? हमारी दुनिया सबसे न्यारी और सबसे प्यारी है माँ...... मैं हूँ... तुम हो... पापा हैं...और क्या चाहिए? सागर कितने गंदे हैं.... जब देखो बिना बात के मुंह फुला लेते हैं...