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पुनः कहना sentence in Hindi

pronunciation: [ punah kahana ]
पुनः कहना meaning in English

Examples

  1. मैंने यह बात एक पोस्ट में टिप्पणी देते हुए कही थी, आज इस मंच से पुनः कहना चाहूंगा कि जो स्थापित, श्रेष्ठ और सीनियर ब्लॉगर हैं वे ज़्यादा नहीं तो सप्ताह में एक दिन नए ब्लॉगर को दें, उनकी हौसला-आफ़ज़ाई करें।
  2. मैं बधाई देती हूँ ‘सत्यमेव जयते ' की पूरी टीम को जिनका प्रथम प्रयास निसंदेह प्रशंसनीय है!मैं पुनः कहना चाहती हूँ कि इस कार्यक्रम में समस्या भी थी कारण भी थे और निराकरण भी जिसने इसे सम्पूर्ण बनाया है.........हमेशा साथ दीजिए ऐसे प्रयास का...............'सत्यमेव जयते'!
  3. फिर कुछ क्षण चुप रहकर पुनः कहना प्रारम्भ किया,-” यह मैं पूर्ण विश्वास के साथ कह सकती हूँ कि किशोर के मन में ही कहीं दबी-ढकी अप्रकट कोई लालसा उत्पन्न हो गयी थी, जिसे अप्रकट ही बने रहने देने के लिये उसने ऐसा निर्णय लिया था।
  4. इतिहास के साथ जुडाव ने यह समझ बनाई है कि तथ्य मिलें और प्रमाण हों तो कुछ भी प्रिय अप्रिय स्वीकार करना ही चाहिए वहा भावुकता का सवाल नहीं है, पुनः कहना चाहिए कि इस किताब से उपजे विवाद के मददेनजर भी ऐतिहासिक नजरिए से तथ्यों कर परीक्षण सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए थी होनी ही चाहिए!
  5. यों तो ब्लाग-लेखन किस प्रकार प्रारम्भ हुआ इसका वर्णन ' विद्रोही स्व-स्वर में ' हो चुका है-http://vidrohiswar.blogspot.in/2013/05/blog-post_28.html परंतु कुछ लोगों के मन में उठ रहे अनेक संदेहों के निवारणार्थ निम्नाकित बातों को पुनः कहना चाहता हू:-(1)-पत्रकार स्व. शारदा पाठक ने स्वंय अपने लिए जो पंक्तियाँ लिखी थीं, मैं भी अपने ऊपर लागू समझता हूँ:-
  6. कपिल यादव के अधिवक्ता को एकल बेंच में कही अपनी बात को पुनः कहना चाहिये था क्योंकि प्रथम पक्ष पुराने विज्ञापन की बहाली की लड़ाई लड़ रहा था और कपिल यादव के अधिवक्ता को पुराने विज्ञापन पर आक्रमण करना चाहिये था जिसका जवाब प्रथम पक्ष देता की सचिव / बीएसए के जिस विवाद पर तुमने स्थगन पाया था वो विवाद एकल बेंच में समाप्त हो चुका है।
  7. विकि पर जो मेरे सम्बंध में निर्णय लिया गया उसके लिये धन्यवाद, मैं पुनः कहना चाहूँगा कि मेरा अपना एकमात्र खाता है अन्य किसी खाते से मेरा सम्बंध नहीं है, आलोचक जी को मैंने ही विकि पर कार्य करने के लिये प्रेरित किया था, वे मेरे सहयोगी भी रहे हैं, यह तथाकथित छद्म खाते किसके द्वारा बनाये गये हैं, मैं नहीं समझ पा रहा हूँ।
  8. लेकिन पुनः कहना पड़ रहा है कि कई रचनाकार अपनी प्रस्तुति को साझा करने के बाद कायदे से मंच पर ही नहीं आते, टिप्पणियों के माध्यम से बन रहे संवाद का लाभ क्या उठायेंगे! यह किसी रचनाकार की विवशता हो सकती है, इसे हम सभी समझ सकते हैं, लेकिन यदि यह किसी की प्रवृति ही हो तो ऐसी प्रवृति या आचरण किसी तरह से यह अनुकरणीय नहीं है.
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