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तबसरा sentence in Hindi

pronunciation: [ tabasara ]
तबसरा meaning in English

Examples

  1. क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी '' हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी” का है, हदीसें सिर्फ “बुख़ारी” और “मुस्लिम” की नक्ल हैं, तबसरा-जीम. “मोमिन” का है।
  2. कभी वे कबायली ग़ज़लें कहते नज़र आते हैं तो कभी मौजूदा हालातों पर तबसरा करते! मुझे हमेशा येही लगा कि मेरी ही शक्ल का कोई शख्स सुरेन्द्र में भी साँसे लेता है ”
  3. क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी (बमय अलक़ाब) '' हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी” का है, हदीसें सिर्फ “बुख़ारी” और “मुस्लिम” की नक्ल हैं, तबसरा-जीम. “मोमिन” का है।
  4. माशाल्लाह, क्या खूब तबसरा पेश किया है समीर जी....मज़ा आ गया लेकिन कई प्रणयबंधन में बँधे हैं ईन चॅट की सुविधाओं से ः) परंतु जो नज़्म पेश किया है वाकई दाद के काबिल है....लिखते रहें जनाब... धन्यावाद फिज़ा
  5. जैसे ही अहमद अली लिखता हूँ मैँ कोई ब्लाग उस पे फ़ौरन तबसरा करते हैँ नीरज और समीर वह बढाते हैँ हमेशा लेखकोँ का हौसला उनका साहित्यिक जगत मेँ काम है यह बेनज़ीर अहमद अली बर्क़ी आज़मी नई दिल्ली-110025
  6. नोट:-आयातों में लम्बे लम्बे फासले देखे जा सकते हैं जिनको कि मानी, मतलब और तबसरे के शुमार में नहीं लिया गया है क्यों कि यह इस लायक भी नहीं इन का ज़िक्र या इन पर तबसरा किया जाए।
  7. क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी '' हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी '' का है, हदीसें सिर्फ '' बुख़ारी '' और '' मुस्लिम '' की नक्ल हैं, और तबसरा-जी म. '' मोमिन '' का है।
  8. खैर, चलो शुक्र है दो पायों (यानी इंसानों) के शिकार से उसकी तवज्जो हटी हुई है, इस सूरह में शिकारयात पर अल्लाह का कीमती तबसरा ज्यादह ही है गो की आज ये फुजूल की बातें हो गईं हैं मगर मुहम्मदी अल्लाह इतना दूर अंदेश होता तो हम भी यहूदियों की तरह दुनिया के बेताज बादशाह न होते.
  9. लता जी किसी एक शेर की तारीफ़ करना बाकि शेरों के साथ बहुत बड़ी ना इंसाफी होगी क्यूँ की हर शेर एक अलग ही तल्ख़ लेकिन सच्ची दास्ताँ बयां कर रहा है...आज के दिनों दिन बिगड़ते हालात पर तबसरा कर रहा है...तंज में लिपटी आपकी ये ग़ज़ल दिलो दिमाग को झकझोर दे रही है...दाद कबूल करें... नीरज
  10. खैर, चलो शुक्र है दो पायों (यानी इंसानों) के शिकार से उसकी तवज्जो हटी हुई है, इस सूरह में शिकारयात पर अल्लाह का कीमती तबसरा ज्यादह ही है गो की आज ये फुजूल की बातें हो गईं हैं मगर मुहम्मदी अल्लाह इतना दूर अंदेश होता तो हम भी यहूदियों की तरह दुनिया के बेताज बादशाह न होते.
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