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चलने का ढंग sentence in Hindi

pronunciation: [ calane ka dhamga ]
चलने का ढंग meaning in English

Examples

  1. लेकिन शरीर वह रहेगा, उसकी आंखे वह रहेंगी, उसके चलने का ढंग यह रहेगा, उसका रंग वह रहेगा, उसका नाक-नक् श यह रहेगा-इस शरीर की आदतें उसके साथ रहेंगी।
  2. * मुझे लगा वह जा रही है विलक्षणा, वही कद, वही पीठ पर झूलती, लम्बी-सी अधखुली चोटी, वही साड़ी जो अक्सर उसे पहने देखा है, वही चलने का ढंग, निश्चय वही है!
  3. वो नाम करोडो-अरबो हो पर ' ' सबका मालिक एक है '' उस मालिक की खुशियों को उस मालिक की रहमत को पाया जा है! अगर इन्सान अमल करे वचनों पे चले! सत्संग में वचनों पे चलने का ढंग सिखाया जाता है!
  4. सोनू ना जाने क्यों मैं तुम पर मर मिटी, तुम्हारा बोलने चलने का ढंग, तुम्हारा सलीका देखकर तुमको मन ही मन चाहने लगी, फिर जब तुम्हारे यहाँ तुमको देखने तुम्हारे पास चली आती थी, जाने दिल अपने काबू में रखना मुश्किल हो जाता था।
  5. मान लो मुझे कोई कहे कि आपके चलने का ढंग मुझे पसंद नहीं, बदल दीजिये, तो क्या मुझे बदल देना चाहिये?“ बच्ची ने जवाब दिया, ” नहीं“ मैंने उससे पूछा, ”क्यों? तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?“ उसका जवाब था, ”क्योंकि आप उससे आप नहीं रहेंगी और खुश भी नहीं रहेंगी।“ ”बस यही बात है।
  6. रोगी होश में है और उसके ज्ञान का स्तर, शयनमुद्रा, चलने का ढंग, स्वास्थ्य का सामान्य स्तर और पोषण की स्थिति, चेहरे का भाव और वर्ण (पीलापन, कँवला, नीलता, या शोथ), हाथ का आकार गिल्टियों की सूजन, श्वास की गति और प्रकार, ताप, नाड़ीपरीक्षा।
  7. मान लो मुझे कोई कहे कि आपके चलने का ढंग मुझे पसंद नहीं, बदल दीजिये, तो क्या मुझे बदल देना चाहिये? “ बच्ची ने जवाब दिया, ” नहीं “ मैंने उससे पूछा, ” क्यों? तुम्हें ऐसा क्यों लगता है? “ उसका जवाब था, ” क्योंकि आप उससे आप नहीं रहेंगी और खुश भी नहीं रहेंगी।
  8. उनके चलने का ढंग, बोलने का ढंग, नाचने का ढंग सबकुछ.साठ साल के बाद भी उनकी ऊर्जा देखने लायक है.फिल्म में वो आज भी चपलता के साथ एक्शन करते हैं और जब वे भावुकता भरे दृश्यों में आते हैं तो भी वे अपनी उन अभिव्यक्तियों को बुन लेते हैं जो किसी अभिनेता को किसी पात्र और चरित्र के बुनने के लिए जरुरी होती हैं.
  9. कांग्रेस इस बात को भले से समझ रही है कि अगर आज उसने पीछे देखना शुरू किया या देखा तो उसका राजनीतिक अंत हो जाएगा क्योंकि इन 125 वर्षों में आज देश में मध्यमवर्ग की संख्या कई गुना बढ़ी है और पहले के मध्यवर्ग की अपेक्षा आज के मध्यवर्ग की इच्छाएं, महत्वाकांक्षाएं, तौर तरीके, दुनिया को देखने का नजरिया और चलने का ढंग एकदम जुदा है, बदला हुआ है।
  10. कांग्रेस इस बात को भले से समझ रही है कि अगर आज उसने पीछे देखना शुरू किया या देखा तो उसका राजनीतिक अंत हो जाएगा क्योंकि इन 125 वर्षों में आज देश में मध्यमवर्ग की संख्या कई गुना बढ़ी है और पहले के मध्यवर्ग की अपेक्षा आज के मध्यवर्ग की इच्छाएं, महत्वाकांक्षाएं, तौर तरीके, दुनिया को देखने का नजरिया और चलने का ढंग एकदम जुदा है, बदला हुआ है।
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