असवर्ण sentence in Hindi
pronunciation: [ asavarna ]
Examples
- शायद किसी को समझ नहीं आता कि भारत का धर्म आधारित बँटवारे का असली रूप क्या होता? ' मुस्लिम सवर्णों की तुलना में मुस्लिम असवर्ण अधिक उदार होतें हैं, किंतु हिन्दू असवर्ण नहीं।
- यह लड़ाई आरक्षण की नही योग्यता और अयोग्यता की है, कम से कम हमें तो योग्यता का साथ देना चाहिये चाहे वो सवर्ण हो या असवर्ण ; और यही आरक्षण का पैमाना होना चाहिये
- इस दर्शन को अपेक्षित संरक्षण न मिलने से धीरे-धीरे इसके लिखित साक्ष्य मिटते गये...पर गाँवों के असवर्ण वर्ग में इस दर्शन की झलकियाँ मिलती हैं अब भी...हमें इस राख में चिंगारी ढूँढ़ने का काम करना होगा.
- आप लिखते हैं उन्होने हर संभव कोशिश की कि अर्जुन सिन्ह को खलनायक साबित किया जाय, यानि आप के लिये वे आदर्श हें जिन्होने देश में सवर्ण और असवर्ण के बीच में भेद भाव करवाया.
- आप लिखते हैं उन्होने हर संभव कोशिश की कि अर्जुन सिन्ह को खलनायक साबित किया जाय, यानि आप के लिये वे आदर्श हें जिन्होने देश में सवर्ण और असवर्ण के बीच में भेद भाव करवाया.
- वह सिर्फ़ राष्ट्रपिता गांधी की ही हत्या का दोषी नहीं है, आज़ादी के ६ ० से अधिक सालों में असवर्ण, दलित, आदिवासी आदि अन्य अस्मिताओं की श्रेष्ठ्तम प्रतिभाओं की हत्या का भी मुजरिम है।
- देश के कल्याणकामी यदि इन अनेक गौण बातों पर ध्यान दें, एक शिक्षा के विस्तार के लिए प्रबंध करें, इतर जातियों में शिखा का प्रसार हो, तो असवर्ण विवाह की प्रथा भी जारों से चल पड़े।
- बड़का त बड़का (सवर्ण), जवन भोजपुरी इलाका में आज ले नान्ह जात कहाला, जौना के कुछ सभ्य अखबारी भाषा में आजकल आम जनता कहल जाता-सबके बीचे नाच के लौंडा असवर्ण जतियन के बीच में भिखरिये के नाम से जानल जात रहे।
- न स्त्री दुष्यति जारेण (जार कर्म से स्त्री दूषित नहीं होती) रजसा शुध्यते नारी (रजःस्त्राव हो जाने पर नारी शुद्ध हो जाती है) और देखो, असवर्णस्तु यो गर्भः स्त्रीणां योनौ निषेच्यते अशुद्धा सा भवेन्नारी यावद् गर्भं च मुंचति विमुक्ते तु ततः शल्ये रजश्यापित प्रदृश्यते तदा सा शुध्यते नारी विमल कांचनं तथा (अत्रिस्मृति) अर्थात्, ” असवर्ण से भी स्त्री को गर्भ रह जाय, तो उसका त्याग नहीं करना चाहिए।
- अठारहवीं सदी के भारत में संस्कृत बोलने की हिम्मत करने वाले असवर्ण लोगों के हश्र के बारे में बताते हुए अंबेडकर ने लिखा ‘ मराठा शासन (जिसे गोलवलकर और संघ पुनर्स्थापित करना चाहते हैं) के अंतर्गत ब्राह्मणों के अलावा किसी के भी वेद मंत्रों के पाठ करने पर उसकी जीभ काट लिये जाने का प्रावधान था और यह तथ्य है कि कई सुनारों की जीभ पेशवा के आदेश से काट दी गयी क्योंकि उन्होंने क़ानून के ख़िलाफ़ वेदोच्चारण किया था।