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वर्णक्रमिकी sentence in Hindi

pronunciation: [ varnakramiki ]
वर्णक्रमिकी meaning in English

Examples

  1. और वर्णक्रम की रेखाओं की तीव्रता नापने के साधनों ने वर्णक्रमिकी द्वारा किए गए अध्ययन में सहयोगी बनकर, खगोलीय पिंडों की भौतिक अवस्था के विषय में अमूल्य सूचना प्रदान की।
  2. इसी प्रकार ज्योतिर्मिति (फोटोमीटरी, Photometry) और वर्णक्रम की रेखाओं की तीव्रता नापने के साधनों ने वर्णक्रमिकी द्वारा किए गए अध्ययन में सहयोगी बनकर, खगोलीय पिंडों की भौतिक अवस्था के विषय में अमूल्य सूचना प्रदान की।
  3. इसी प्रकाशमिति (फोटोमीटरी) और वर्णक्रम की रेखाओं की तीव्रता नापने के साधनों ने वर्णक्रमिकी द्वारा किए गए अध्ययन में सहयोगी बनकर, खगोलीय पिंडों की भौतिक अवस्था के विषय में अमूल्य सूचना प्रदान की।
  4. (5) वर्णक्रमिकी (Spectroscopy) के साधन ने यह भी प्रकट किया कि बहुत से तारे, जो बड़े से बड़े दूरदर्शी द्वारा लिए गए फोटोग्राफों में अकेले दिखाई देते हैं, वास्तव में दो तारे हैं, जो अपने गुरुत्वकेंद्र (centre of gravity) की परिक्रमा करते रहते हैं।
  5. ज्यों ज्यों दूरदर्शी की रचना में सुधार होता गया, ज्योतिष संबंधी अनुसंधान में उसकी उपयोगिता बढ़ती गई, परंतु ताराभौतिकी का प्रारंभ तो 19वीं शताब्दी के द्वितीय चतुर्थांश में हुआ, जब सूर्य तथा अन्य तारों के प्रकाश के अध्ययन में जर्मनी के भौतिकविद्, गुस्तैफ रॉबर्ट किर्खहॉफ (सन् 1824-1887), द्वारा प्रतिपादित वर्णक्रमिकी (
  6. (5) वर्णक्रमिकी (Spectroscopy) के साधन ने यह भी प्रकट किया कि बहुत से तारे, जो बड़े से बड़े दूरदर्शी द्वारा लिए गए फोटोग्राफों में अकेले दिखाई देते हैं, वास्तव में दो तारे हैं, जो अपने गुरुत्वकेंद्र (centre of gravity) की परिक्रमा करते रहते हैं।
  7. ज्यों ज्यों दूरदर्शी की रचना में सुधार होता गया, ज्योतिष संबंधी अनुसंधान में उसकी उपयोगिता बढ़ती गई, परंतु ताराभौतिकी का प्रारंभ तो 19वीं शताब्दी के द्वितीय चतुर्थांश में हुआ, जब सूर्य तथा अन्य तारों के प्रकाश के अध्ययन में जर्मनी के भौतिकविद्, गुस्तैफ रॉबर्ट किर्खहॉफ (सन् 1824-1887), द्वारा प्रतिपादित वर्णक्रमिकी (spectroscopy) के सिद्धांतों का उपयोग प्रारंभ हुआ।
  8. ज्यों ज्यों दूरदर्शी की रचना में सुधार होता गया, ज्योतिष संबंधी अनुसंधान में उसकी उपयोगिता बढ़ती गई, परंतु ताराभौतिकी का प्रारंभ तो 19 वीं शताब्दी के द्वितीय चतुर्थांश में हुआ, जब सूर्य तथा अन्य तारों के प्रकाश के अध्ययन में जर्मनी के भौतिकविद्, गुस्तैफ रॉबर्ट किर्खहॉफ (सन् 1824-1887), द्वारा प्रतिपादित वर्णक्रमिकी के सिद्धांतों का उपयोग प्रारंभ हुआ।
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