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लरज़ता sentence in Hindi

pronunciation: [ larajata ]
लरज़ता meaning in English

Examples

  1. घड़ी थी अंधेरा मगर सख़्त था, कोई बस दस सवा दस का वक़्त था, लरज़ता था कोयल की भी कूक से, बुरा हाल हुआ उसपे भूख से, लगा तोड़ने एक बेरी से बेर, मेरे सामने आ गया एक शेर।
  2. क़यामत की याद में गोया अंगारों पर खड़े रहते थे और उनकी पेषानियों पर सजदों की वजह से बकरी के घुटने जैसे गट्टे होते थे, उनके सामने ख़ुदा का ज़िक्र आता था तो आँसू इस तरह बरस पड़ते थे के गरेबान तक तर हो जाता था और उनका जिस्म अज़ाब के ख़ौफ़ और सवाब की उम्मीद में इस तरह लरज़ता था जिस तरह सख़्त तरीन आंधी के दिन कोई दरख़्त।
  3. एलीस जैसी ही लगी ये कवितायें, अपना शरीर मुकम्मल करने कि फिराक में जंगल जंगल! मुख्तलिफ तिनके हैं इनमें फिलिस्तीनी नेता और सुनामी के बहाए हुए सब चुन लेती है बिन किसी तैयारी के! कैसी सादगी है यहाँ कि लहसुन और हींग कि खुशबू का अंतर काफूर होते ही दुनियादारी कि हरपल सरकती रेत कि जगह मिटटी के लौंदे में लरज़ता फलसफा ज्यादा मुफीद ज्यादा मुआफिक लगता है!
  4. “कहीं भी सर झुका दिया, नया खुदा बना लिया गुलाम कौम को मिलेगी कब निजात, देखिए” गरजता, लरज़ता हुआ ये शेर अपनी मिसाल आप ही बन गया है...वाह और “जबआँधियों का जोर थम गया तो पेड़ बोल उठा है कौन डाल-डाल, कौन पात-पात देखिए” दिलों को झिंझोड़ देने वाली बात किस सफाई से इस शेर में कह दी आपने...लाजवाब भई ऐसे ऐसे कमाल कैसे कर लेते हो.... बता ये हुनर तूने सीखा कहाँ से.....
  5. देख चेहरा तू समझता क्या है अपनी धुन पे ही लरज़ता क्या है पैराहन देख मेरे चेहरे पे दिल में क्या है तू समझता क्या है प्यास है पर कोई साक़ि तो नहीं मेरी हालत तू समझता क्या है मेरी बातों को सुन के अक्सर तू सर हिलाता है समझता क्या है दिल की चोटों का तो सबब यूँ है दिल ही नश्तर है समझता क्या है मुझको पंछी वो ताना मार गया ख़ुद को आज़ाद समझता क्या है अब सफाई में क्या बताऊँ विवेक ख़ुद का मुजरिम हूँ समझता क्या है
  6. लो चेहरा सुर्ख़ शराब हुआ आँखों ने साग़र छलकाया-२ये गुस्सा हाय ये गुस्सा तेरा सुभान-अल्लाहइक हुस्न का दरिया चढ़ आयालो चेहरा सुर्ख़ शराब...ये गर्म निग़ाह तौबा-तौबा पत्थर में भी आग भड़क उठे(उस दिल का ख़ुदा ही हाफ़िज़ है)-२ जो तेरी नज़र से टकरायाये गुस्सा...देखो तो ज़रा तुम मौसम को मौसम भी लरज़ता है डर सेवो ख़ौफ़ से बिजली काँप उठी बादल का जोश उतर आयाये गुस्सा...क्यों आग बबूला होते हो अब छोड़ो ऐसे गुस्से कोहोंठों की लाली कहती है इक शोला लब तक बढ़ आयाये गुस्सा...
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