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लक्ष्य भेदन sentence in Hindi

pronunciation: [ laksya bhedan ]
लक्ष्य भेदन meaning in English

Examples

  1. लक्ष्य भेदन की इसकी सटीकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह जमीनी लक्ष्य को 10 मीटर की ऊंचाई से भी भेद सकती है।
  2. उन्होंने यह भी बताया कि ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र की पोत से सतह पर लक्ष्य भेदन की अतिरिक्त क्षमता को सिद्ध करने के लिए एक उड़ान परीक्षण किया गया है।
  3. आप लगातार इस बात पर ध्यान देते रहे हैं कि आपके लिए क्या लाभकारी है और क्या नहीं और तब अपने लक्ष्य भेदन के लिए लाभकारी चीजों को अपनाएं।
  4. लक्ष्य भेदेगी सटीकः डीआरडीओ के अधिकारी ने ब्रह्मोस की क्षमताओं के बारे में बताया कि इस क्रूज मिसाइल से न केवल सटीक लक्ष्य भेदन काफी आसान हो जाएगा, बल्कि लक्ष्य के आसपास कोई अतिरिक्त नुकसान से भी बचा जा सकेगा।
  5. प्रिय राजकमल जी, आपकी छोटी सी टिप्पड़ी काफी असरदार है| कहने की जरूरत नहीं कि आप के व्यंग बड़ी आसानी से लक्ष्य भेदन करने में सक्षम हैं| कुछ तीर जरा इन अस्मत के खरीदारों पर भी चला दें| खुदा कसम मज़ा आ जायेगा|
  6. अन्य प्रतिद्वन्दियों के विपरीत, कर्ण धनुष को मोड़ने और उस पर प्रत्यञ्चा चढ़ा पाने में समर्थ था, पर जैसे ही वह लक्ष्य भेदन के लिए तैयार हुआ, तब श्रीकृष्ण के संकेत पर, द्रौपदी ने कर्ण को सूत-पुत्र बोलकर उसे ऐसा करने से रोक दिया।
  7. अन्य प्रतिद्वन्दियों के विपरीत, कर्ण धनुष को मोड़ने और उस पर प्रत्यञ्चा चढ़ा पाने में समर्थ था, पर जैसे ही वह लक्ष्य भेदन के लिए तैयार हुआ, तब श्रीकृष्ण के संकेत पर, द्रौपदी ने कर्ण को सूत-पुत्र बोलकर उसे ऐसा करने से रोक दिया।
  8. अन्य प्रतिद्वंदियों के विपरीत, कर्ण धनुष को मोड़ने और उस पर प्रत्यंचा चढ़ा पाने में समर्थ था, पर जैसे ही वह लक्ष्य भेदन के लिए तैयार हुआ, तब श्रीकृष्ण के संकेत पर, द्रौपदी ने कर्ण को सूत-पुत्र बोलकर उसे ऐसा करने से रोक दिया।
  9. ४ ० (एकलव्य द्वारा ७ बाणों से श्वान के मुख को भरना तथा द्रोणाचार्य को अङ्गुष्ठ दक्षिणा में देना आदि), १ ३ २. ४ (लक्ष्य भेदन प्रतियोगिता में अर्जुन का गृध्र के भेदन में सफल होना ; बाणों द्वारा जल में द्रोणाचार्य को ग्राह के बन्धन से मुक्त करने पर ब्रह्मशिर अस्त्र प्राप्त करना), १ ८ ४.
  10. किसी धनुष से तीर कितनी दूर जायेगा और लक्ष्य को भेदेगा कि नहीं, यह निर्भर करता है प्रत्यंचा पर | प्रत्यंचा की लम्बाई और कसाव ही धनुष का लोच तय करती है और प्रत्यंचा ही तीर को लक्ष्य अनुसार बल भी प्रदान करती है | प्रत्यंचा के निर्धारण में अथवा प्रत्यंचा चढाने में यदि त्रुटि हो जाए तो धनुष टूट भी सकता है और सारा आरोपित बल व्यर्थ हो जाता है, तब लक्ष्य भेदन तो दूर की बात, धनुर्धारी सबके उपहास का पात्र भी बन जाता है |
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