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फ़ैसलाकुन sentence in Hindi

pronunciation: [ phaisalakun ]
फ़ैसलाकुन meaning in English

Examples

  1. ऐतिहासिक रुप से यह सालाना मेला स्थानीय कारोबार-रोज़गार-आर्थिक गतिविधियों को एक फ़ैसलाकुन ताकत देने की कुव्वत उस वक्त से लेकर १ ९ ७ २ तक कायदे से रखता रहा है.
  2. (अज़मते परवरदिगार) उसका अम्र फ़ैसलाकुन और सरापा हिकमत है और उसकी रिज़ा मुकम्मल अमान और रहमत है, वह अपने इल्म से फ़ैसला करता है और अपने हिल्म की बिना पर माफ़ कर देता है।
  3. इन दो स्त्रियों के क्रमवार गुरलाभ और सुखचैन के संग प्रेम-संबंधों का विवरण उपन्यास में रोमांश का अंश तो लाता ही है, रिश्तों के बनने-बिगड़ने में आर्थिकता और सामाजिक रुतबे के फ़ैसलाकुन दख़ल का तत्व भी उभरता है।
  4. पूँजीवादी ढाँचे के जो लाइलाज रोग हैं, यह जो ज़ुल्म-लूट-ग़ैरबराबरी-ऍंधोरगर्दी की अति है, उसे देखकर यह साफ़ हो जाता है कि भारत की और पूरी दुनिया की मेहनतकश आबादी अब पूँजीवादी अत्याचार को जड़मूल से ख़त्म करने की फ़ैसलाकुन लड़ाई लड़ेगी।
  5. इसलिए मैंने अपनी बात किसी फ़ैसलाकुन तरीक़े से न कहते हुए सिर्फ अपना ऑब्ज़र्वेशन-भर बताया, जिस पर कि आपने समझाइश दे दी कि ' कुछ-कुछ समझ गए हो, कुछ-कुछ में चूक गए हो'. मेरी 'चूक' पर आपकी समझाइश और फ़ैसले पर एक भली-सी मुस्कान.
  6. यानी कि उस फ़ैसलाकुन जंग में पराजित होकर तबाह हो जाने से ठीक पहले हमारी सूरत क्या थी, हमारी मूल्य-मान्यताएँ और प्रेरणाएँ क्या थीं और उस ज़माने में मौजूद तमाम चीज़ों के प्रति हमारा नज़रिया कैसा था, इस उपन्यास से ये बातें बख़ूबी ज़ाहिर होती हैं।
  7. यानी कि उस फ़ैसलाकुन जंग में पराजित होकर तबाह हो जाने से ठीक पहले हमारी सूरत क्या थी, हमारी मूल्य-मान्यताएँ और प्रेरणाएँ क्या थीं और उस ज़माने में मौजूद तमाम चीज़ों के प्रति हमारा नज़रिया कैसा था, इस उपन्यास से ये बातें बख़ूबी ज़ाहिर होती हैं।
  8. इसलिए मैंने अपनी बात किसी फ़ैसलाकुन तरीक़े से न कहते हुए सिर्फ अपना ऑब् ज़र्वेशन-भर बताया, जिस पर कि आपने समझाइश दे दी कि ' कुछ-कुछ समझ गए हो, कुछ-कुछ में चूक गए हो '. मेरी ' चूक ' पर आपकी समझाइश और फ़ैसले पर एक भली-सी मुस् का न.
  9. चरित्र के प्रमाणपत्रों की तख्ती अभिशप्त थी बदलने को अशब्द गूंगे पत्थरों में जिनकी हर उड़ान पर ट्रिम होते सफ़ेद पंखों पर पोत दी जाती थी आरोपों की कालिख प्रायोजित बैठकें भी बेकार ही रहीं काफी हाऊसों की गरमागरम बहसों की तरह और इससे पहले कि-पहुंचा जाता किसी फ़ैसलाकुन नतीजे पर क्रांति और बदलाव के बिगुल
  10. परिवर्तन की वस्तुगत परिस्थितियां तो काफ़ी “ पकी हुई-सी ” दिखती हैं, उन्हें और पकाने के लिए जिस सही “ उत्प्रेरक ” की ज़रूरत होती है, उस काम का ज़िम्मा निहित होता है, परिवर्तन की इच्छा को फ़ैसलाकुन हमले की तैयारी में तब्दील करके जनता को लामबंद करने की नेतृत्व-क्षमता रखने वाली पार्टी / पार्टियों में! देर तो खूब हो गई है, फिर भी जागने का मन हो तो सवेरा हो ही जाएगा.
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