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परा- sentence in Hindi

pronunciation: [ para- ]
परा- meaning in English

Examples

  1. ' ' सूरह रअद १ ३ परा- १ ३ आयत (१ ७) मैं पहले भी इस बात को वाजेह कर चुका हूँ कि नाजिल आफतें होती हैं बरकतें नहीं.
  2. १७ जनबरी, १९२३ को आगरा मे जन्मे रांगेय राघव ने सेन्ट जोन्स कालेज आगरा से परा- स्नातक हिन्दी मे करने के बाद गुरु गोरखनाथ पर शोध किया और अपने लिये साहित्य के डाक्टर की उपाधि हासिल की.
  3. लेकिन सोशल मीडिया पर इस तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं होती क्योंकि वह ना तो मूर्त होता है ना हीं उस पर (परा- देशीय होने की वजह से) बाध्यकारी अंकुश लगाये जा सकते हैं.
  4. ' ' सूरह रअद १ ३ परा- १ ३ आयत (४ १ + ४ ३) इन्हीं बातों से बेजार होकर एक ईरानी मुफक्किर मिर्ज़ा हुसैन अली १ ८ ४४ में तर्क इस्लाम करके जदीद तरीन मज़हब की बुनियाद रखी, कहता है---
  5. ' ' सूरह रअद १ ३ परा- १ ३ आयत (३-४) चार सौ साल पहले ईसाई साइंटिस्ट गैलेलियो ने बाइबिल को कंडम करके ज़मीन को फैलाई हुई रोटी जैसी चिपटी नहीं बल्कि गोल कहा था तो उसे ईसाई कठ मुल्ला निजाम ने फाँसी की सजा सुना दिया था,
  6. ” बिल यकीन उन मुसलामानों ने फलाह पाई जो अपनी नमाज़ों में गिडगिडाने वाले हैं. '' सूरह मओमेनून २ ३-परा- १ ८-आयत (१-२) रोना और हँसना, दोनों ही ज़ेहन को हल्का कर देते हैं, मगर इसकी कोई वजेह और हदें हुवा करती हैं.
  7. ' ' सूरह रअद १ ३ परा- १ ३ आयत (१ २-१ ३) लाल बुझक्कड़ के गाँव से कोई हाथी रात को गुज़रा, सुब्ह गाँव वालों ने हाथी के पैरों के निशान देख कर हैरान हो गए कि इतना बड़ा पैर किसका हो सकता है? चलो मुखिया लाल बुझक्कड़ के पा स.
  8. वह इस में हमेशा रहेंगे. '' सूरह रअद १ ३ परा- १ ३ आयत (५) यहूदियत से उधार लिया गया ये अन्ध विश्वास मुहम्मद ने मुसलामानों के दिमाग़ में भर दिया है कि रोज़े महशर वह उठाया जाएगा, फिर उसका हिसाब होगा और आमालों की बुन्याद पर उसको जन्नत या दोज़ख की नई ज़िन्दगी मिलेगी.
  9. ताकि तुम अपने रब के पास जाने का यक़ीन करलो. '' सूरह रअद १ ३ परा- १ ३ आयत (१-२) सबसे पहले क़ुरआन में नाज़िल का अर्थ जानें नाज़िल होने का सही अर्थ है प्रकृति की और से प्रकोपित (न कि उपहारित) नाज़िला (बला) होना, यानी क़ुरआन अल्लाह की तरफ से एक बला है, एक नज़ला है.
  10. हाँ! जो इसके अलावा तलब गार हो, ऐसे लोग हद से निकलने वाले हैं ” सूरह मओमेनून २ ३-परा- १ ८-आयत (३-७) खुद साख्ता रसूल एक हदीस में फ़रमाते हैं कि जो शख्स मेरी ज़बान और तानासुल (लिंग) पर मुझे काबू दिला दे उसके लिए मैं जन्नत की ज़मानत लेता हूँ, और उनका अल्लाह कहता है कि शर्म गाहों की हिफाज़त करो.
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