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दूर के ढोल सुहावने होते हैं sentence in Hindi

pronunciation: [ dur ke dhol suhavane hote haim ]
दूर के ढोल सुहावने होते हैं meaning in English

Examples

  1. अगर आप कार में बैठे हैं तो दिल्ली की सड़कों पर दोनों तरफ बने साइडवॉक्स पर लगाए गए पत्थर बेहद खूबसूरत लगते हैं लेकिन दूर के ढोल सुहावने होते हैं
  2. यहां एक कहावत बहुत सटीक बैठती है “ दूर के ढोल सुहावने होते हैं ”, दूर से चमकने वाली मायानगरी का अंधेरा बहुत ही भयानक और डरावना है.
  3. प्रेम के बाद शायद इस Nostalgia पे ही सबसे ज़्यादा लिखा गया होगा, लेकिन एक पक्ष और भी इसका... ' दूर के ढोल सुहावने होते हैं ' वाला...
  4. दूर के ढोल सुहावने होते हैं और राजधानी बना देने से विकास नही होता है और नई राजधानी बनते ही दलालों प्रोपर्टी डीलरो, नगर नियोजकों का समूह विकास करने लगता है ।
  5. ' अदा ' जी ~ “ दूर के ढोल सुहावने होते हैं ”:) प्रसाद जी ~ आज आदमी की हालत ऐसी हो गई है जिसे सांप-छछूंदर जैसी कही जा सकती है...
  6. दूर के ढोल सुहावने होते हैं यह कहावत अमेरिका और हम पर फिट बैठती है, क्योंकि हम भारतीय यही समझते हैं कि अमेरिका में सब मर्सडीज में ही चलते और पिज्जा खाते हैं।
  7. वजह यह है कि इस देश के लोग यह जानते हुए भी कि ‘ दूर के ढोल सुहावने होते हैं ' दूर के ढोलों पर ही अधिक यकीन करते हैं और यह प्रवृति प्रचार माध्यमों ने बढ़ाई हैं कमी नहीं की।
  8. ख्वाब है जब तक बिक जाते है जज्बात उनके नाम मिल जाये तो फिर खाक हो जायेंगे कहा भी जाता है गुलामों का पेट कभी नहीं भरना चाहिये भर गया तो आजाद हो जायेंगे इसलिये परदेसी पहले इनाम के लिये लपकाते हैं फिर पीछे हट जाते हैं देश चलता रहता है उसकी आड़ में जज्बातोंे का व्यापार दूर के ढोल सुहावने होते हैं इसलिये उनको दूर रखो देशी विदेशी जज्बातों के सौदागरों का लगता यह कोई आपसी करार है ………………………. यह आलेख इस ब्लाग 'दीपक भारतदीप की सिंधु केसरी-पत्रिका ' पर मूल रूप से लिखा गया है।
  9. ख्वाब है जब तक बिक जाते है जज्बात उनके नाम मिल जाये तो फिर खाक हो जायेंगे कहा भी जाता है गुलामों का पेट कभी नहीं भरना चाहिये भर गया तो आजाद हो जायेंगे इसलिये परदेसी पहले इनाम के लिये लपकाते हैं फिर पीछे हट जाते हैं देश चलता रहता है उसकी आड़ में जज्बातोंे का व्यापार दूर के ढोल सुहावने होते हैं इसलिये उनको दूर रखो देशी विदेशी जज्बातों के सौदागरों का लगता यह कोई आपसी करार है ………………………. यह आलेख इस ब्लाग ‘ दीपक भारतदीप की सिंधु केसरी-पत्रिका ' पर मूल रूप से लिखा गया है।
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