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चूर्णिल आसिता sentence in Hindi

pronunciation: [ curnil asita ]
चूर्णिल आसिता meaning in English

Examples

  1. पौध संरक्षणः-भिंडी के प्रमुख रोग पीत शिरा मौजक एवं चूर्णिल आसिता एवं नुकसानदायक कीट प्ररोेह एवं फल छेदक तथा जैसिड है।
  2. चूर्णिल आसिता रोग को नियंत्रित करने के लिए कैराथेन या सल्फर नामक दवा (1-2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए ।
  3. चूर्णिल आसिता रोग को नियंत्रित करने के लिए कैराथेन या सल्फर नामक दवा (1-2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए।
  4. इनमें मुख्यत: रेड पम्पकिन बीटल (लाल कीड़ा), चेंपा, फलमक्खी, पाउडरी मिल्डयू (चूर्णिल आसिता) तथा डाउनी मिल्डयू (रोमिल आसिता) मुख्य हैं।
  5. चूर्णिल आसिता रोग के लिए गंधक चूर्ण कवकनाशी का प्रयोग २ ग्राम / प्रति लीटर पानी की दर से करना चिहिए| रोग की पहचान होते ही दवा का प्रोग लाभदायक होता है
  6. ५ ग्राम / लीटर दर से करना लाभदायक होता है | एक हेक्टेयर हेतु १ ००० लीटर पानी का प्रयोग करना चाहिए | २. चूर्णिल आसिता रोग के लिए गंधक चूर्ण कवकनाशी का प्रयोग २ ग्राम / प्रति लीटर पानी की दर से करना चिहिए | रोग की पहचान होते ही दवा का प्रोग लाभदायक होता है | ३. करनाल बंट तथा स्पाट ब्लाच रोगों के लिए प्रोपिकोनाजोल का ०.
  7. मृदु रोमिल असिता एवं चुर्णित आसिता जैसे रोगों से बचाव के लिए फसल के लिये नियमित निगरानी रखनी चाहिए तथा रोग कि शुरुआती अवस्था दिखाई देते ही उचित कवकनाशी का प्रयोग करना चाहिए| चूर्णिल आसिता के प्रबंधन हेतु गंधक चूर्ण कि २. ५ मात्रा/लीटर पानी की दर से तथा मृदुरोमिल आसित से बचाव के लिए मैन्कोंजेब की २.५ ग्राम मात्रा/लीटर पानी की दर से फसल पर २-३ छिड़काव १० दिन के अन्तराल पर आवयकतानुसार करें|४.
  8. १. रोग जनक की मात्रा कम करने के लिए गर्मी के दिनों मैं गहरी जुताई, फसल चक्र अपनाना, रोग ग्रसित पौधों के अवशेषों को जलना तथा खरपतवारो को नष्ट करना बहुत जरुरी है | २. अगेती बुवाई अल्टरनेरिया पट्टी झुलसा, सफेद किट्ट व चूर्णिल आसिता आदि रोगों को रोकने में सहायक होती हैं | ३. स्वस्थ व साफ़ सुथरे बीजों का प्रयोग करना चाहिए | बीज जनित रोगों रोगों से सुरक्षा के लिए २. ५ ग्रा म.
  9. बीज को ट्रा इ कोडरमा पाउडर की ४-५ ग्राम मात्रा + कार्बोक्सिन कि एक ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज कि दर से उपचारित करके बुवाई करें | जिससे बीज जनित रोगों तथा मृदा जनित रोगों से प्रारम्भिक अवस्था में फसल को बचाया जा सकता है | ३. मृदु रोमिल असिता एवं चुर्णित आसिता जैसे रोगों से बचाव के लिए फसल के लिये नियमित निगरानी रखनी चाहिए तथा रोग कि शुरुआती अवस्था दिखाई देते ही उचित कवकनाशी का प्रयोग करना चाहिए | चूर्णिल आसिता के प्रबंधन हेतु गंधक चूर्ण कि २.
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