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अवगाह sentence in Hindi

pronunciation: [ avagah ]
अवगाह meaning in English

Examples

  1. [7] हृदय-जल में सिमट कर डूब, इसकी थाह तो ले, रसों के ताल में नीचे उतर अवगाह तो ले।
  2. हृदय-जल में सिमट कर डूब, इसकी थाह तो ले, रसों के ताल में नीचे उतर अवगाह तो ले।
  3. तत्पश्चात् दूसरे अवगाह (bath) में उन्हें 15 भाग सोडियम थायोसल्फेट के तनु विलयन के साथ पीपे इत्यादि में घुमाते हैं।
  4. एही रूप जग रंक नरेसा ईश्वर का विरह सूफियों के यहाँ भक्त की प्रधान संपत्ति है जिसके बिना साधना के मार्ग में कोई प्रवृत्त नहीं हो सकता, किसी की ऑंख नहीं खुल सकती बिरह अवधि अवगाह अपारा ।
  5. पहले अवगाह (bath) में 100 भाग अम्लमार्जित खालों को 6 भाग सोडियम बाइक्रोमेट और 1.75 भाग सलफ्यूरिक अम्ल के तनु विलयन के मिश्रण के साथ पीपों या पैडल चक्रों में घुमाते हैं, ताकि अवशोषण पूर्ण हो जाय और खालों का रंग चमकदार नारंगी हो जाय।
  6. इस विधि की विशेषता यह है कि पहले अवगाह में बाइक्रोमेट और अम्ल की क्रिया द्वारा जो क्रोमिक अम्ल बनता है और खाल में अवशोषित होता है, वह दूसरे अवगाह में थायोसल्फेट और अम्ल की क्रिया द्वारा बने सलफ्यूरस अम्ल से अपचयित होकर समाक्षारीय क्रोमियम सल्फेट में परिणत होकर तंतुओं में निक्षिप्त हो जाता है।
  7. इस विधि की विशेषता यह है कि पहले अवगाह में बाइक्रोमेट और अम्ल की क्रिया द्वारा जो क्रोमिक अम्ल बनता है और खाल में अवशोषित होता है, वह दूसरे अवगाह में थायोसल्फेट और अम्ल की क्रिया द्वारा बने सलफ्यूरस अम्ल से अपचयित होकर समाक्षारीय क्रोमियम सल्फेट में परिणत होकर तंतुओं में निक्षिप्त हो जाता है।
  8. इस विधि की विशेषता यह है कि पहले अवगाह में बाइक्रोमेट और अम्ल की क्रिया द्वारा जो क्रोमिक अम्ल बनता है और खाल में अवशोषित होता है, वह दूसरे अवगाह में थायोसल्फेट और अम्ल की क्रिया द्वारा बने सलफ्यूरस अम्ल से अपचयित होकर समाक्षारीय क्रोमियम सल्फेट में परिणत होकर तंतुओं में निक्षिप्त हो जाता है।
  9. इस विधि की विशेषता यह है कि पहले अवगाह में बाइक्रोमेट और अम्ल की क्रिया द्वारा जो क्रोमिक अम्ल बनता है और खाल में अवशोषित होता है, वह दूसरे अवगाह में थायोसल्फेट और अम्ल की क्रिया द्वारा बने सलफ्यूरस अम्ल से अपचयित होकर समाक्षारीय क्रोमियम सल्फेट में परिणत होकर तंतुओं में निक्षिप्त हो जाता है।
  10. अगर हिन्दी अपनी अ-लौकिक चाल में न चलती तो शब्दों के अपरिचय और अरुचि-पूर्णता से ग्रस्त न होती. पर लोकपक्ष की अनदेखी सतत हु ई. आचार्य हजारी प्रसाद जी ने ‘ शोर्टकट ' के लोकसुलभ भोजपुरी पर्याय ‘ अवगाह ' को प्रस्तावित किया था पर ऐसी बातें अनदेखी की शिकार हुईं. आज भी हिन्दी का यही चरित्र है.
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