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स्कंधफलक meaning in Hindi

[ seknedheflek ] sound:
स्कंधफलक sentence in Hindi

Meaning

संज्ञा
  1. कंधे के पश्चभाग को बनाने वाली एक बड़ी, चपटी और तिकोनी हड्डी:"साइकिल से गिरने के कारण उसके अंशफलक में दरार पड़ गई है"
    synonyms:अंशफलक, अंसफलक, स्कन्धफलक, स्कंधास्थि

Examples

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  1. इसके बाद चिकित्सक अपने अंगूठों को रोगी व्यक्ति के दाएं-बाएं मध्य स्कंधफलक के बिन्दुओं पर रखना चाहिए और सहारे के लिए उंगलियों को ऊपरी स्कंधफलक के भाग पर रखना चाहिए।
  2. इसके बाद चिकित्सक अपने अंगूठों को रोगी व्यक्ति के दाएं-बाएं मध्य स्कंधफलक के बिन्दुओं पर रखना चाहिए और सहारे के लिए उंगलियों को ऊपरी स्कंधफलक के भाग पर रखना चाहिए।
  3. इसके बाद रोगी व्यक्ति को पेट के बल लिटाकर उसके दाएं भाग पर तथा बाएं भाग के मध्य ( कंधे और गर्दन के बीच का भाग ) स्कंधफलक क्षेत्रों के तीनों बिन्दुओं पर दबाव देकर उपचार करना चाहिए।
  4. फिर इसके बाद रोगी के शरीर के दाएं व बाएं ऊपरी स्कंधफलक ( कंधे के ऊपर का भाग ) क्षेत्र तथा मध्य स्कंधफलक ( कंधे और गर्दन के बीच का भाग ) क्षेत्र के पांच बिन्दुओं पर दबाव देना चाहिए।
  5. फिर इसके बाद रोगी के शरीर के दाएं व बाएं ऊपरी स्कंधफलक ( कंधे के ऊपर का भाग ) क्षेत्र तथा मध्य स्कंधफलक ( कंधे और गर्दन के बीच का भाग ) क्षेत्र के पांच बिन्दुओं पर दबाव देना चाहिए।
  6. श्लेष्मक गुहाओं में स्थित तरल की कमी हो जाती है , जो आम तौर फ्रोजेन शोल्डर में प्रगंडिका (ऊपरी बांह की हड्डी) एवं स्कंधफलक में गर्तिका (स्कंधास्थि) के बीच के अंतराल को चिकना बनाकर कंधे के जोड़ की गति में मदद करता है.
  7. श्लेष्मक गुहाओं में स्थित तरल की कमी हो जाती है , जो आम तौर फ्रोजेन शोल्डर में प्रगंडिका (ऊपरी बांह की हड्डी) एवं स्कंधफलक में गर्तिका (स्कंधास्थि) के बीच के अंतराल को चिकना बनाकर कंधे के जोड़ की गति में मदद करता है.
  8. इसके बाद दबाव शरीर के बाईं तरफ से शुरू करते हुए मध्य स्कंधफलक की दोनों ओर की पांच बिन्दुओं वाली दोनों रेखाओं पर बारी-बारी से दबाव देना चाहिए और सभी बिन्दुओं पर दबाव कम से कम तीन सेकेण्ड के लिए देना चाहिए।
  9. श्लेष्मक गुहाओं में स्थित तरल की कमी हो जाती है , जो आम तौर फ्रोजेन शोल्डर में प्रगंडिका (ऊपरी बांह की हड्डी ) एवं स्कंधफलक में गर्तिका (स्कंधास्थि) के बीच के अंतराल को चिकना बनाकर कंधे के जोड़ की गति में मदद करता है.
  10. फिर अपनी कोहनी को बगल में फैलाकर अपने दोनों अंगूठों को रोगी के ऊपरी स्कंधफलक ( कंधे के ऊपर का भाग ) के बिन्दुओं पर रखना चाहिए तथा इसके बाद शेष बची उंगलियों को सहारे के लिए रोगी की छाती पर अर्थात रोगी के स्तन के ऊपर की ओर रखना चाहिए।


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