शैलसुता meaning in Hindi
[ shailesutaa ] sound:
शैलसुता sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- शिव की पत्नी:"पार्वती भगवान गणेश की माँ हैं"
synonyms:पार्वती, अंबा, अम्बा, उमा, गिरिजा, गौरी, भगवती, भवानी, मंगला, महागौरी, महादेवी, रुद्राणी, शिवा, शैलजा, हिमालयजा, अंबिका, अम्बिका, अचलकन्या, अचलजा, हिमजा, शैलेयी, अपर्णा, अपरना, शैलकुमारी, शैलकन्या, जग-जननी, जगत्-जननी, जगजननी, जगद्जननी, जग जननी, जगत् जननी, त्रिभुवनसुन्दरी, त्रिभुवनसुंदरी, सुनंदा, सुनन्दा, भवभामिनी, भववामा, जगदीश्वरी, भव्या, पंचमुखी, पञ्चमुखी, पर्वतजा, वृषाकपायी, शंभुकांता, शम्भुकान्ता, देवेशी, नंदा, नन्दा, जया, नंदिनी, नन्दिनी, शंकरा, शंकरी, शताक्षी, नित्या, मृड़ानी, अद्रि-तनया, हेमसुता, हिमसुता, अद्रितनया, हैमवती, आर्या, इला, अद्रिजा, अद्रिकन्या, अद्रि-कन्या
Examples
More: Next- शैलसुता की साधना , पूरित सब संकल्प |
- कि क्या कहें उस अनुपम दृश्य के बारे में जब लाल बुराँश की ओट शैलसुता पार्वती अनायास ही खिलखिला पड़ती है।
- इस संबंध में साह जी अपने उपन्यास ' शैलसुता' के बारे में बताते हुए कहते हैं- जनमानस के गीतों को आत्मसात करने से पूर्व जन-जीवन को आत्मसात करना परम आवश्यक है।
- इस संबंध में साह जी अपने उपन्यास ' शैलसुता' के बारे में बताते हुए कहते हैं- जनमानस के गीतों को आत्मसात करने से पूर्व जन-जीवन को आत्मसात करना परम आवश्यक है।
- जिस प्रकार उपवन में स्थित मयूर , पर्वतों से उठने वाली काली घन घटाओं से व्याप्त आकाश को देखकर, हर्ष से ओंकार की तरह निम्नोत वनि के द्वारा शिखावाला, कलाप पंख वाला, होता हुआ भी केकी अर्थात् केका मध्ुर व सान्द्र वनि युत्तफ होकर नाचता रहता है, इसी प्रकार भगवान् शिव भी, वेदान्तरुपी उपवन में शैलसुता सौन्दर्यशिरोमणि श्यामा पार्वती को देखकर नाचते हैं,
- जिस प्रकार उपवन में स्थित मयूर , पर्वतों से उठने वाली काली घन घटाओं से व्याप्त आकाश को देखकर , हर्ष से ओंकार की तरह निम्नोत वनि के द्वारा शिखावाला , कलाप पंख वाला , होता हुआ भी केकी अर्थात् केका मध्ुर व सान्द्र वनि युत्तफ होकर नाचता रहता है , इसी प्रकार भगवान् शिव भी , वेदान्तरुपी उपवन में शैलसुता सौन्दर्यशिरोमणि श्यामा पार्वती को देखकर नाचते हैं , ऐसे विहाररसिक नीलकण्ठ ; शिवद्ध का मैं यान करता हूँ।
- माँ नवदुर्गारूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: !! मातृ शक्ति सम नहि कोई, ना दूजा है संत | माता के नौ रूप हैं, अनुपम, अजय अनंत || शैलसुता की साधना, पूरित सब संकल्प | दृढ़ता भरे विचार हों, करतीं कायाकल्प || ओजपूर्ण ब्रह्मचारिणी, तन मन करें निखार | तेजस्वी सम ओज हो, देखे जग संसार || सारी भव बाधा हरें, हम हों निर्भय वीर | सौम्य विनम्र सदा रहें, चंद्रम्-घंटा तीर | आदि स्वरूपा शक्ति हैं, कुष्मांडा विख्यात | कमल पुष्प अमृत कलश, सब निधि देतीं