शीलहीन meaning in Hindi
[ shilhin ] sound:
शीलहीन sentence in Hindi
Meaning
विशेषण- जो सभ्य न हो:"तुम असभ्य व्यक्ति की तरह क्यों रहते हो ? / वह लट्ठमार बोली बोलता है"
synonyms:असभ्य, अशिष्ट, गँवार, बदतमीज़, बदतमीज, गुस्ताख़, गुस्ताख, बेहूदा, बेअदब, जंगली, शिष्टाचारहीन, संस्कारहीन, असंस्कृत, आचारहीन, अभद्र, लंठ, लट्ठमार, लठमार, उजड्ड, अक्खड़, उज्जट, उज्झड़, शीलरहित, रूखा, रुक्ष, रूख, भोंडा, अभव्य, रूढ़, असाई, असाधु, आचारभ्रष्ट, उठंगल
Examples
More: Next- सडकों , गलियों में छेड़छाड़ , भीड़ों में शीलहीन फिकरे ,
- उलंगन करनेवाले , धर्म को न जानने वाले, दुराचारी, शीलहीन, धर्म
- शीलहीन , स्वास्थ्यहीन होकर विचित्र जिन्दगी जीनी होती है उसे हम लोग पड़ोस में ही हिन्दू नारियों की जिन्दगी देखते ही रहते हैं ।
- शीलहीन , स्वास्थ्यहीन होकर विचित्र जिन्दगी जीनी होती है उसे हम लोग पड़ोस में ही हिन्दू नारियों की जिन्दगी देखते ही रहते हैं ।
- 5 . जो मनुष्य नास्तिक, क्रियाहीन, गुरु और शास्त्र की आज्ञा का उल्लंघन करने वाले, धर्म को न जानने वाले, दुराचारी, शीलहीन, धर्म की मर्यादा को भंग करने वाले तथा दूसरे वर्ण की स्त्रियों से संपर्क रखने वाले हैं, वे इस लोक में अल्पायु होते हैं और मरने के बाद नरक में पड़ते हैं।
- जो मनुष्य नास्तिक , क्रियाहीन , गुरु और शास्त्र की आज्ञा का उल्लंघन करने वाले , धर्म को न जानने वाले , दुराचारी , शीलहीन , धर्म की मर्यादा को भंग करने वाले तथा दूसरे वर्ण की स्त्रियों से संपर्क रखने वाले हैं , वे इस लोक में अल्पायु होते हैं और मरने के बाद नरक में पड़ते हैं।
- जो मनुष्य नास्तिक , क्रियाहीन , गुरु और शास्त्र की आज्ञा का उल्लंघन करने वाले , धर्म को न जानने वाले , दुराचारी , शीलहीन , धर्म की मर्यादा को भंग करने वाले तथा दूसरे वर्ण की स्त्रियों से संपर्क रखने वाले हैं , वे इस लोक में अल्पायु होते हैं और मरने के बाद नरक में पड़ते हैं।
- जो मनुष्य नास्तिक , क्रियाहीन, गुरु और शास्त्र की आज्ञा का उलंगन करनेवाले, धर्म को न जानने वाले, दुराचारी, शीलहीन, धर्म की मर्यादा को भंग करने वाले तथा दुसरो वर्ण की स्त्रियों से संपर्क रखने वाले है, वे इस लोक मे अल्पआयु होते है , मरने के बाद नरक मे पड्ते है और सुखमय जीवन की कल्पना नही कर सकते ।
- जो मनुष्य नास्तिक , क्रियाहीन , गुरु और शास्त्र की आज्ञा का उलंगन करनेवाले , धर्म को न जानने वाले , दुराचारी , शीलहीन , धर्म की मर्यादा को भंग करने वाले तथा दुसरो वर्ण की स् त्रियों से संपर्क रखने वाले है , वे इस लोक मे अल्पआयु होते है , मरने के बाद नरक मे पड्ते है और सुखमय जीवन की कल्पना नही कर सकते ।
- जो मनुष्य नास्तिक , क्रियाहीन , गुरु और शास्त्र की आज्ञा का उलंगन करनेवाले , धर्म को न जानने वाले , दुराचारी , शीलहीन , धर्म की मर्यादा को भंग करने वाले तथा दुसरो वर्ण की स् त्रियों से संपर्क रखने वाले है , वे इस लोक मे अल्पआयु होते है , मरने के बाद नरक मे पड्ते है और सुखमय जीवन की कल्पना नही कर सकते ।