शंखाहुली meaning in Hindi
[ shenkhaahuli ] sound:
शंखाहुली sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- शंखपुष्पी का पुष्प जो शंख की तरह होता है:"बगीचे से शंखपुष्पी की महक आ रही है"
synonyms:शंखपुष्पी, शंखनाम्नी, शङ्खपुष्पी, शङ्खाहुली, शङ्खनाम्नी, शंखपुष्पिका, शङ्खपुष्पिका, कौड़ियाला, शंबुकपुष्पी, शम्बुकपुष्पी, चोर-पुष्पी, चोर-पुष्पिका, चौर, अंधाहुली, मंगल्यकुसुमा, मंगल्या, शंखकुसुमा, भूतलता, केशिनी - शंख के समान सफेद पुष्पों वाली एक लता जो भारत में सर्वत्र पाई जाती है और औषध के रूप में प्रयुक्त होती है :"शंखपुष्पी प्रसरणशील एवं छोटी-छोटी घास के समान होती है"
synonyms:शंखपुष्पी, शंखनाम्नी, शङ्खपुष्पी, शङ्खाहुली, शङ्खनाम्नी, शंखपुष्पिका, शङ्खपुष्पिका, कौड़ियाला, चोरपुष्पी, चोरपुष्पिका, चोरपुष्प, चोरहुली, चोराख्या, चोरा, शंबुकपुष्पी, शम्बुकपुष्पी, चोर-पुष्पी, चोर-पुष्पिका, अंधाहुली, मंगल्यकुसुमा, मंगल्या, चौर, शंखकुसुमा, वनविलासिनी, भूतलता, केशिनी
Examples
More: Next- इसी प्रकार शंखाहुली , कालमेध ( कैसकोरा डेकुसेटा ) से भी इसे अलग पहचाना जाना चाहिए ।
- इसके फूल शंख की आकृति के होते हैं , इसलिए इसे शंखपुष्पी कहते हैं और बोलचाल की भाषा में शंखाहुली भी कहते हैं।
- इसके फूल शंख की आकृति के होते हैं , इसलिए इसे शंखपुष्पी कहते हैं और बोलचाल की भाषा में शंखाहुली भी कहते हैं।
- वच को बारीक पीस कर ब्राह्मी अथवा शंखाहुली के रस , या पुराने गुड़ के साथ लें , तो मिरगी रोग में आराम मिलता है।
- ( ६ ) - शंखाहुली , सिरस और राई को सफ़ेद गाय के दूध के साथ मिलाकर लेप तैयार करें | लेप को शरीर में लगाकर गर्म पानी से स्नान करें , स्नान के बाद केसर का तिलक लगाएं | इस उपाय से आपकी पत्नी या प्रेमिका कभी आपको छोड़कर नहीं जायेगी |
- ब्राह्मी रसायन : छाँह में सुखाई हुई ब्राह्मी का चूर्ण 5 तोला , मुलहठी का चूर्ण 5 तोला , शंखाहुली का चूर्ण 5 तोला , गिलोप का चूर्ण 5 तोला तथा स्वर्ण भस्म आधा माशा लेकर इन सबको चूर्ण बनाकर 1 से 3 ग्राम तक असमान भाग घी एवं शहद ( घी एक भाग , शहद दो भाग ) के साथ खाने से मनुष्य की स्मरणशक्ति , कुष्ठ एवं शरीर के अन्य रोगों का नाश हो जाता है तथा मनुष्य निरोगी होकर सकल सिध्दि प्राप्त कर सकता है।
- ब्राह्मी रसायन : छाँह में सुखाई हुई ब्राह्मी का चूर्ण 5 तोला , मुलहठी का चूर्ण 5 तोला , शंखाहुली का चूर्ण 5 तोला , गिलोप का चूर्ण 5 तोला तथा स्वर्ण भस्म आधा माशा लेकर इन सबको चूर्ण बनाकर 1 से 3 ग्राम तक असमान भाग घी एवं शहद ( घी एक भाग , शहद दो भाग ) के साथ खाने से मनुष्य की स्मरणशक्ति , कुष्ठ एवं शरीर के अन्य रोगों का नाश हो जाता है तथा मनुष्य निरोगी होकर सकल सिध्दि प्राप्त कर सकता है।