यथावकाश meaning in Hindi
[ yethaavekaash ] sound:
यथावकाश sentence in Hindiयथावकाश meaning in English
Meaning
क्रिया-विशेषण- +अवकाश से या जब फुरसत हो तब:"उसने फ़ुरसत से यह काम पूरा किया"
synonyms:फ़ुरसत से, फ़ुर्सत से, फुर्सत से, फुरसत से, आराम से, तसल्ली से, इत्मीनान से, इत्मिनान से
Examples
More: Next- अवश्य लिख लूँगा यथावकाश वहाँ जाने का प्रयत्न भी करूँगा।
- स्वयं अपने भीतर विचारना , करना और परीक्षा करके उसमें यथावकाश परिवर्तन करते
- स्वयं अपने भीतर विचारना , करना और परीक्षा करके उसमें यथावकाश परिवर्तन करते रहना आपके हृदय-प्रकर्ष का सूत्र है।
- उसने खोल कर उन थोड़े-से अर्ध-विकसित कुसुमों को , जो अवहेलना से सूखा ही चाहते थे , भगवान् के नग्न शरीर पर यथावकाश सजा दिया।
- अत : औरंगजेब ने स्वयं अपने खर्चे से उन भवनो को तत्काल मरम्मत करने की आज्ञा देकर शाहजहाँ को सूचित किया कि यथावकाश इन भ व नों की व्यापक मरम्मत की जाए ।
- क्षत्रिय धर्मे के बारे में विस्तृत विवरण कई ग्रंथों में मिलता है जिसका जिक्र हम यथावकाश करते रहेंगे ! राजस्थान के रजवट साहित्य में भी क्षत्रिय धर्म का सुन्दर चित्रण मिलता है! “सीधो रजवट परखनो, ऐ रजवट अहनान! प्राण जठेई रजवट नहीं; रजवट जठे न प्राण !!” इस सोरठे का अर्थ है की क्षत्रिय सुख,भोग की लालसा नहीं रखता है;
- उस लाडली पोती का यथावकाश प्रेम विवाह हुआ . ...और उसे भी पहली औलाद एक बिटिया ही हुई...लेकिन उसकी बिटिया का कोई स्वागत नही हुआ...कोई खुशियाँ नही मनी...बल्कि उसे एक बोझ ही माना गया...वो अपनी बिटिया के लिए ढाल और कवच बन गयी...उसके परवरिश की पूरी ज़िम्मेदारी उसी पे थी...अपनी बिटिया के लिए एक पैसे की वस्तू भी ख़रीदनी हो तो उसपे ऐतराज़ किया जाता...कैसे कैसे दिन काटे उसने....किस तरह पढ़ाया लिखाया...वही जाने...
- क्षत्रिय धर्मे के बारे में विस्तृत विवरण कई ग्रंथों में मिलता है जिसका जिक्र हम यथावकाश करते रहेंगे ! राजस्थान के रजवट साहित्य में भी क्षत्रिय धर्म का सुन्दर चित्रण मिलता है ! “ सीधो रजवट परखनो , ऐ रजवट अहनान ! प्राण जठेई रजवट नहीं ; रजवट जठे न प्राण !! ” इस सोरठे का अर्थ है की क्षत्रिय सुख , भोग की लालसा नहीं रखता है ; वह तो संघर्ष का अधिकारी होता है !
- 3 ये हुक्का चिलम तमाखू बीड़ी सिगरेट नहीं पीते , मद्य मांस प्याज लशुन सुलफा गांजा अन्डा केक होटल का किसी भी प्रकार का भोजन स्वीकार नहीं करते 4 ये चोटी यज्ञोपवीत कंठी तिलक धारण करते , स्नान के बाद ही भोजन पाते तथा यथावकाश गायत्री संध्या तर्पण श्राद्ध देवपूजन नैवेद्यनिवेदन देव स्तुति आदि ब्राह्मण कर्मों का दृढता से पालन करते हैं , 5 ये अपने को श्री यमुना माता का पुत्र मानते हैं तथा माता जी की रक्षा कृपा पर पूर्ण भरोसा रखते हैं ।