महाप्रकृति meaning in Hindi
[ mhaaperkeriti ] sound:
महाप्रकृति sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- एक देवी जिन्होंने अनेक असुरों का वध किया और जो आदि शक्ति मानी जाती हैं:"नवरात्र में लोग जगह-जगह दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं"
synonyms:दुर्गा, अष्टभुजा, आदि शक्ति, चामुंडा, जगदंबा, देवी, शारदा, माया, महामाया, शिवानी, गायत्री, नैऋती, अपराजिता, ब्राह्मी, अपर्णा, इंद्राणी, इन्द्राणी, अपरा, वैष्णवी, त्रिभुवनसुन्दरी, त्रिभुवनसुंदरी, ललिता, सौम्या, आदिशक्ति, कल्याणी, कौशिकी, जगन्माता, परमेश्वरी, मातेश्वरी, शुभंकरी, सिंहवाहिनी, जगदंबिका, जगदम्बिका, मंगलचंडिका, मंजुनाशी, मंगलचण्डिका, जगन्मोहिनी, विश्वकाया, शिवसुंदरी, शिवसुन्दरी, वरालिका, इड़ा, वरवर्णिनी, वृषध्वजा, शंभुकांता, शम्भुकान्ता, शाक्री, शिवा, त्रिदशेश्वरी, शुंभघातिनी, शुम्भघातिनी, शुंभमर्दिनी, शुम्भमर्दिनी, चामुंडेश्वरी, चामुंडेश्वरी देवी, महिषासुरमर्दिनी, रेवती, वामदेवी, अमृतमालिनी, त्वाष्टी, योगमाता, गौतमी, महायोगेश्वरी, विजया, नंदिनी, नन्दिनी, जया, नंदा, नन्दा, त्रिनयना, कालदमनी, शताक्षी, उग्रा, महोग्रा, वज्रा, चामुण्डा, बहुभुजा, महाश्वेता, शांभवी, शाम्भवी, आद्या, सर्वमंगला, भूतनायिका, पर्वतात्मजा, भालचंद्र, भालचन्द्र, योगीश्वरी, योगेश्वरी, आर्या, ईशा, ईशानी, ईसानी, शुद्धि, वार्त्ता, हयग्रीवा, प्रगल्भा
Examples
More: Next- इस विकृति हो चुकी प्रकृति और महाप्रकृति में परिवर्तन किया जा रहा है . ..
- वह इस महावन या कहें कि महाप्रकृति के संतुलन को बिगड़ते नहीं देखना चाहता।
- प्रकृति चाहे महाप्रकृति में , मूल प्रकृति में हो या जीव प्रकृति में , चेतना में चाहे मानव प्रकृति में .
- महाकाश और महाप्रकृति का यह खेल इनके जीवन में लाइट एण्ड शैडो की रचना कर जीवन का रहस्य भरा भावभीना अनुभव कराते हैं।
- महाप्रकृति की लीलामयी क्रीड़ा इसी धारा के प्रवाह में व्यक्त होती है फिर हम कुंठायें क्यों पालें ? ये फूलों के रंग रमणीय प्रकृति का सौंदर्य तुम्हें सर्वथा त्याज्य लगता है ?
- अति सुन्दर॥॥॥।अतः मे मुझे याद आ रहा है महर्षि रमण का लिखा वो वाक्य “ नारि पति के लिये चरित्र , सतान के लिये ममता, समाज के लिये शील , विश्व के लिये दया और प्राणी के लिये करुणा सजोने वाली महाप्रकृति है”
- अतः मे मुझे याद आ रहा है महर्षि रमण का लिखा वो वाक्य “ नारि पति के लिये चरित्र , सतान के लिये ममता , समाज के लिये शील , विश्व के लिये दया और प्राणी के लिये करुणा सजोने वाली महाप्रकृति है ”
- अ तः मे मुझे याद आ रहा है महर्षि रमण का लिखा वो वाक्य “ नारि पति के लिये चरित्र , सतान के लिये ममता , समाज के लिये शील , विश्व के लिये दया और प्राणी के लिये करुणा सजोने वाली महाप्रकृति है ”
- अन्यथा महाशक्तिया कुपित होकर महाप्रलय प्रारंभ कर देगी और मेरे पिता श्री के तांडव के बारे में सभी ने कुछ ना कुछ सुन ही रखा है . .. ... धैर्य के साथ इंतजार कीजिये . आप सभी के सामने महाप्रकृति में सारे कार्य क्रम समय-समय पर यु ही परोस कर प्रस्तुत कर दिए जायेंगे .... धन्यवाद् .... विशेष- कार्यक्रम चालू है , कार्य की गति बढ़ती ही जाएगी ......